दिल्ली के अस्पतालों में डॉक्टरों की हड़ताल, AIIMS में 645 सर्जरी टली
ओपीडी में इलाज काफी हदतक ठप रहेगा। वहीं पहले से निर्धारित ऑपरेशन टाल दिए गए हैं। इस वजह से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल का असर अब देश के अन्य हिस्सों में भी दिखना शुरू हो गया है। राजधानी दिल्ली में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA) ने हड़ताल बुलाई है, जिसका असर AIIMS जैसे बड़े अस्पतालों में देखने को मिलने लगा है। यात्री परेशान नजर आ रहे हैं।
एम्स व सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने एक दिन हड़ताल की घोषणा की है, इसलिए शुक्रवार को दोनों अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाएं प्रभावित है। ओपीडी में भी इलाज काफी हद तक ठप है। वहीं पहले से निर्धारित ऑपरेशन टाल दिए गए हैं। इस वजह से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। वहीं दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने भी 14 जून को राजधानी में स्वास्थ्य सुविधाएं ठप करने की घोषणा की है। ऐसे में निजी अस्पतालों में भी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित हो सकती हैं, हालांकि एम्स व सफदरजंग अस्पताल को छोड़कर दिल्ली के अन्य सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर ड्यूटी पर रहेंगे। इसलिए आरएमएल अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, लोकनायक, जीटीबी, जीबी पंत इत्यादि अस्पतालों में कामकाज सामान्य रहने की उम्मीद है।
एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के अध्यक्ष डॉ. अमरिंदर सिंह ने कहा, पश्चिम बंगाल की सरकार डॉक्टरों को सुरक्षा देने में असफल रही है। वहां हॉस्टल पर हमले किए गए हैं और वहां कानून व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ चुकी है। वहां के डॉक्टरों के समर्थन में एम्स में हड़ताल की घोषणा की गई है। इमरजेंसी में भी कामकाज प्रभावित हो सकता है। एम्स में 645 सर्जरी टली एम्स में प्रतिदिन करीब 645 मरीजों के ऑपरेशन होते हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा हड़ताल की घोषणा के बाद एम्स प्रशासन ने पहले से निर्धारित ऑपरेशन टाल दिए हैं। कुछ इमरजेंसी ऑपरेशन ही किए जा सकते हैं।
सर्जरी के लिए सालों का इंतजार एम्स के कई विभागों में सर्जरी के लिए एक साल से लेकर पांच साल तक का समय दिया जाता है। लंबे इंतजार के बाद कई मरीजों का ऑपरेशन शुक्रवार को होना था जिन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ेगा। सबसे अधिक वेटिंग कार्डियक सर्जरी विभाग में है। इस विभाग में प्रतिदिन 12-14 मरीजों का ऑपरेशन होता है। सफदरजंग अस्पताल में भी 200 मरीजों के ऑपरेशन टाल दिए गए हैं। इमरजेंसी सेवा रहेगी चालू दोनों अस्पतालों में इमरजेंसी सुविधाएं चालू रहेंगी। एम्स प्रशासन का कहना है कि उम्मीद है कि इमरजेंसी में रेजिडेंट डॉक्टर मौजूद रहेंगे।
वहीं सफदरजंग अस्पताल के आरडीए अध्यक्ष डॉ. प्रकाश ठाकुर ने कहा कि इमरजेंसी सेवा सामान्य रहेगी। एम्स ओपीडी में नहीं देखे जाएंगे नए मरीज एम्स प्रशासन के अनुसार अस्पताल की ओपीडी में नए मरीज नहीं देखे जाएंगे। फॉलोअप के लिए पहले से अप्वाइंटमेंट लेने वाले पुराने मरीजों को ही वरिष्ठ डॉक्टर ओपीडी में देखेंगे। अप्वाइंटमेंट के बगैर पहुंचने वाले पुराने मरीजों का भी इलाज नहीं होगा।
इसके अलावा डायग्नोस्टिक सुविधाएं भी प्रभावित होंगी। फोर्डा ने भी किया विरोध फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने भी घटना का कड़ा विरोध किया है। रेजिडेंट डॉक्टरों ने लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज से जंतर-मंतर तक मार्च कर प्रदर्शन किया। एम्स में छुट्टी पर हैं आधे फैकल्टी एम्स के करीब 650 फैकल्टी स्तर के वरिष्ठ डॉक्टरों में से 50 फीसद डॉक्टर गर्मी की छुट्टी पर हैं। इससे अस्पताल में इन दिनों इलाज का दारोमदार रेजिडेंट डॉक्टरों पर है। इसलिए रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के कारण शुक्रवार को अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था बिगड़ना तय है।
इससे पहले कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों से मारपीट की घटना के विरोध में बृहस्पतिवार को एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों ने हेलमेट पहनकर व प्रतीकात्मक रूप से मरहम पट्टी बांधकर मरीजों का इलाज किया था। बाद में एम्स परिसर में रेजिडेंट डॉक्टरें ने प्रदर्शन किया और डॉक्टरों के लिए सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने की मांग की थी।
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