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Delhi MCD Merger: नगर निगमों के विलय के बाद 700 पद हो सकते हैं खत्म, 22 मई से होगा सिर्फ एक निगम

Delhi MCD Merger तीनों निगमों के एकीकरण के बाद करीब 700 पदों को खत्म किया जा सकता है। एमसीडी के विलय के बाद नगर निगम के विशेष अधिकारी और निगमायुक्त की नियुक्ति भी हो जाएगी। इसके बाद एकीकृत प्रशासनिक व्यवस्था बनाई जाएगी जिसका पूरा अधिकार विशेष अधिकारी के पास होगा।

By Abhishek TiwariEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 08:22 AM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 08:22 AM (IST)
Delhi MCD Merger: नगर निगमों के विलय के बाद 700 पद हो सकते हैं खत्म, 22 मई से होगा सिर्फ एक निगम
नगर निगमों के विलय के बाद 700 पद हो सकते हैं खत्म, 22 मई से होगा सिर्फ एक निगम

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। दिल्ली नगर निगमों के विलय के बाद करीब 700 पदों को खत्म किया जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि 22 मई तक तीनों नगर निगमों को भंग कर दिया जाएगा। इसके बाद एकीकृत दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) अस्तित्व में आ जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक, तीनों नगर निगम के एकीकरण से लगभग 700 कर्मचारी ‘जरूरत से ज्यादा' हो जाएंगे, क्योंकि प्रत्येक विभाग में कर्मचारियों की संख्या में एक-तिहाई की कमी होने की संभावना है।

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हालांकि, इन पदों को खत्म करने का फैसला विशेष अधिकारी को लेना होगा। इसमें समूह ए से लेकर समूह सी तक के पद हैं। उल्लेखनीय है कि तीन निगम होने से निगम के करीब 81 विभाग हो गए थे। अब चूंकि तीनों निगम एक हो रहे हैं, ऐसे में विभागों की संख्या एक तिहाई, यानी 27 हो जाएगी। इससे बड़ी संख्या में पद खत्म हो जाएंगे।

वहीं, प्रतिनियुक्ति पर आए कई अधिकारियों को अपने मूल विभाग में भी जाना होगा।बाक्सचुनाव होने तक विशेष अधिकारी पर होगी बड़ी जिम्मेदारीएकीकृत निगम में चुनाव होने तक केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त विशेष अधिकारी पर बड़ी जिम्मेदारी होगी। चूंकि निगम एक्ट में अधिकतम 250 वार्ड की बात है, तो इसके लिए नए सिरे से परिसीमन होगा, जिसमें अनुसूचित जाति से लेकर महिलाओं के लिए आरक्षित वार्ड का भी निर्धारण किया जाएगा।

अब इस प्रक्रिया में कितना समय लगेगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन निगम का एक्ट फिलहाल छह माह तक इसे लागू रखने की अनुमति देता है। बता दें कि अब तक तीनों नगर निगम में 272 वार्ड थे। वर्ष 2017 में हुए निगम चुनावों में भाजपा ने 272 में से 181 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) के खाते में 48 सीटें आई थीं। कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी।


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