बरी होने के बाद यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली युवती व उसके स्वजन से मांगा हर्जाना
कोर्ट के समक्ष अपना दर्द बयां किया है। कहा है कि आरोप झूठे साबित होने के बावजूद समाज में उनको हेय दृष्टि से देखा जा रहा है। लोगों ने समारोह में उनको और उनके स्वजन को बुलाना बंद कर दिया है।
नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। यौन उत्पीड़न के आरोप से बरी हुए शख्स ने कड़कड़डूमा कोर्ट में याचिका दायर कर उस पर झूठा मुकदमा दर्ज कराने वाली युवती और उसके स्वजन से 2.75 लाख रुपये हर्जाना मांगा है। कोर्ट के समक्ष अपना दर्द बयां किया है। कहा है कि आरोप झूठे साबित होने के बावजूद समाज में उनको हेय दृष्टि से देखा जा रहा है। लोगों ने समारोह में उनको और उनके स्वजन को बुलाना बंद कर दिया है। कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए युवती और उसके स्वजन को समन जारी कर दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई अब 13 मई को होगी।
शास्त्री पार्क इलाके में रहने वाले साबिर के खिलाफ वर्ष 2015 में यौन उत्पीड़न और पाक्सो एक्ट के तहत थाना सीलमपुर में मुकदमा दर्ज हुआ था। उस समय युवती किशोर उम्र की थी। पड़ोस में रहती थी। उसने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। बयान दिया था कि जिस वक्त उससे बदसलूकी हुई, उसके माता-पिता जग प्रवेश चंद्र अस्पताल गए हुए थे। इस मामले में साबिर की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। उन्हें अग्रिम जमानत मिल गई थी। इस मामले में विशेष कोर्ट में मुकदमा चला। ई-रिक्शा चलाने वाले साबिर की तरफ से अधिवक्ता प्रदीप चौहान ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा था कि उनको झूठे मुकदमे में फंसाया गया है।
किशोरी के परिवार से उनकी पहले से रंजिश चल रही है। जिसके चलते उन पर यह मुकदमा दर्ज कराया गया। साथ ही कोर्ट को बताया था कि उनके चार बच्चे हैं। एक उनका पालन पोषण करने की जिम्मेदारी उन्हीं पर है। केस के ट्रायल के दौरान यह सामने आ गया कि किशोरी और उसके स्वजन ने मिलकर साबिर पर झूठा मुकदमा दर्ज कराया था। चार साल चार महीने सुनवाई चलने के बाद साबिर को स्पेशल कोर्ट ने 11 नवंबर 2019 को बरी कर दिया।
आरोप लगने के बाद समाज के तानों से साबिर अवसाद से ग्रस्त हो गया था। उनके बच्चों और स्वजन को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। साबिर का इलाज इहबास में चला। जिसके झूठे आरोपों से साबिर की जिंदगी में भूचाल आ गया, अब वह बालिग हो गई है। उसको सबक सिखाने के लिए साबिर ने कदम आगे बढ़ाया है। सिविल कोर्ट में हर्जाने के लिए याचिका दायर की है। जिसे स्वीकार कर लिया गया है।