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Delhi Riots: दिल्ली दंगा मामले में आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका पर 23 मई से रोजाना होगी सुनवाई

पीठ ने इस मामले को ग्रीष्मकालीन अवकाश से पहले समाप्त करना चाहते हैं। पुलिस की तरफ से पेश हुए लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने पीठ को बताया कि उन्हें इस मामले पर अपनी जिरह पेश करने में चार से पांच घंटे और लगेंगे।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 07:48 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 07:48 PM (IST)
इस पर पीठ ने कहा कि पीएम के लिए कुछ अन्य शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। सितंबर-2020 से जेल में बंद दिल्ली दंगा मामले में आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि अमरावती में खालिद द्वारा दिया गया भाषण अनुचित था। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा कि सरकार की आलोचना की अनुमति है, लेकिन लक्ष्मण रेखा को पार नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने यह भी सवाल किया कि अमरावती में दिए गए भाषण में खालिद द्वारा इस्तेमाल किए गए इंकलाब और क्रांतिकारी शब्दों का क्या मतलब था।

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इस पर जबाब देते हुए खालिद की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने शब्दों के अर्थ को समझाने के लिए भाषण की प्रतिलेख और दस्तावेजों की एक प्रति पेश करते हुए कहा कि क्रांतिकारी शब्द का इस्तेमाल करना अपराध नहीं है। पीठ ने मौखिक तौर पर कहा कि खालिद ने अपने भाषण में कहा कि सब नंगा सी बोला, पीठ ने पूछा क्या महात्मा गांधी ने ऐसे शब्दों का प्रयोग किया था क्योंकि खालिद बार-बार कहा है कि वे महात्मा गांधी को मानते हैं। प्रधानमंत्री को लेकर किए गए शब्दों के इस्तेमाल पर पीठ के सवाल पर पेस ने कहा कि उक्त शब्दों का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए किया गया था कि देश के वास्तविक मुद्दों को दिखाया जा सके।इस पर पीठ ने कहा कि पीएम के लिए कुछ अन्य शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था।

23 मई से हर दिन होगी सुनवाई: पीठ ने कहा कि इस मामले की अदालत 23 मई से हर दिन दोपहर के बाद सुनवाई करेगी।पीठ ने इस मामले को ग्रीष्मकालीन अवकाश से पहले समाप्त करना चाहते हैं। पुलिस की तरफ से पेश हुए लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने पीठ को बताया कि उन्हें इस मामले पर अपनी जिरह पेश करने में चार से पांच घंटे और लगेंगे।

निचली अदालत के निर्णय को दी है चुनौती: सितंबर-2020 से जेल में बंद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद ने 24 मार्च को जमानत देने से इन्कार करने के कड़कड़डूमा कोर्ट के निर्णय को उमर खालिद ने चुनौती दी है।फरवरी-2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगा मामले में खालिद को 13 सितंबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में है।


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