12 साल बाद आखिर क्या सोचते होंगे आरुषि-हेमराज के हत्यारे, पढ़िए- यह स्टोरी
Aarushi Talwar Murder Case खुलासा होने के दिन से ही आरुषि तलवार हत्याकांड अपने आपमें कई रहस्य लेकर आ गया और यह रहस्य आज भी कायम है कि आरुषि-हेमराज को आखिर किसने और क्यों मारा? यह सवाल सालों बाद भी कायम है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Aarushi Talwar Murder Case: 15-16 मई, 2008 की रात दिल्ली से सटे नोएडा के जलवायु विहार स्थित L-32 मकान में आरुषि-हेमराज का मर्डर हुआ था। खुलासा होने के दिन से ही यह हत्याकांड अपने आपमें कई रहस्य लेकर आ गया और यह रहस्य आज भी कायम है कि आरुषि-हेमराज को आखिर किसने और क्यों मारा? अब 12 साल बाद भी आरुषि के हत्यारों का न पकड़ा जाना पुलिस प्रशासन के साथ भारतीय न्याय व्यवस्था को भी सवालों में खड़ा करता है।
आलम यह है कि 12 साल बाद भी आरुषि-हेमराज के हत्यारे खुलेआम घूम रहे हैं। इसी के साथ वह अक्सर उत्तर प्रदेश पुलिस पर खिलखिलाकर हंसते तो देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी (Central Bureau of Investigation) को भी चिढ़ाते होंगे। इतना ही नहीं, वह यह सोचकर इतराते भी होंगे कि 2 हत्याओं के बाद भी हम पकड़ में नहीं आए। हत्यारों को गिरफ्त में नहीं आना पुलिस की नाकामी है, क्योंकि कहा जाता है कि कोई भी अपराध परफेक्ट नहीं होता है। बावजूद इसके कि अंग्रेजी की एक कहावत है 'crime never pays'।
12 साल बाद हत्यारों की मनोदशा पर सोशल एंड क्लचरल एंथ्रोपॉलोजिस्ट डॉ. अनुपमा भारद्वाज (Dr. Anupma S. Bhardwaj, Social and cultural Anthropologist) कहती हैं कि ऐसे लोगों का भावनात्मक संतुलन (Emotional quotient) कभी ठीक नहीं रहता है। जिसने भी या जिन्होंने भी आरुषि और हेमराज का कत्ल किया होगा वह 12 साल उसे के मामूली घटना के रूप में लेते होंगे।
पछतावा होगा
आवेश में आकर हत्या करने वाला शख्स आरुषि और हेमराज की हत्या कर पछता रहा होगा। वह उस हालात को भी कोस रहा होगा कि कैसे और क्यों उसने ऐसा कदम उठाया।
अनुपमा आरुषि-हेमराज के संदर्भ में यह भी कहती है कि अगर किसी ने आवेश में आकर ये दोनों हत्याएं की होगी तो वह 12 साल बाद आत्मग्लानि में जी रहा होगा और इस कृत्य के लिए अपने आपको कोसता होगा। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि हत्या से पहले के हालात कैसे थे? अचानक आवेश में आकर हत्या जैसा कदम उठाने वाले ज्यादातर हत्यारे खुद ही हालात को अपने पक्ष में कर लेते हैं और फिर उसे न्यायपूर्ण (Justify) करार देते हैं। इसके बाद आत्मग्लानि जैसी स्थिति भी उनके मन में नहीं होती।