AAP विधायक अलका लांबा ने कांग्रेस से कहा 'आप बुलाएं तो सही खुशी-खुशी चली आऊंगी'
बताया जा रहा है कि अलका लांबा की इच्छा चांदनी चौक से सांसद बन कर संसद में पहुंचने की है लेकिन यहां से AAP पहले ही पंकज गुप्ता को पार्टी प्रत्याशी घोषित कर चुकी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Lok Sabha Election 2019: जहां एक ओर पूरी आम आदमी पार्टी (AAP) लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारी में जोरशोर से जुटी हुई है, वहीं दिल्ली की चांदनी चौक विधानसभा सीट से AAP विधायक अलका लांबा के पार्टी छोड़ने की चर्चा है। यह इशारा खुद अलका लांबा ने एक ट्वीट के जरिये किया है।
अलका लांबा के मुताबिक, अभी तक मेरे पास कांग्रेस की ओर से इस तरह से कोई प्रस्ताव नहीं आया है। अगर ऐसा कोई प्रस्ताव कांग्रेस की ओर से आता है तो यह मेरे लिए सम्मान की बात होगी। मैं कांग्रेस पार्टी को 20 साल दिए हैं। अब यह कांग्रेस को तय करना है।
बताया जा रहा है कि अलका लांबा की इच्छा चांदनी चौक से सांसद बन कर संसद में पहुंचने की है, लेकिन यहां से AAP पहले ही पंकज गुप्ता को पार्टी प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। ऐसे में इस सीट से अलका लांबा का AAP के टिकट पर लड़ पाना मुश्किल है।
चांदनी चौक से वैसे तो शीला सरकार में मंत्री रहे और बल्लीमारान निवासी हारून यूसुफ कांग्रेस पार्टी की ओर से टिकट की दौड़ में हैं। यह भी गौर करने की बात है कि कांग्रेस ने अभी चांदनी चौक ही नहीं, बल्कि दिल्ली की किसी भी लोकसभा सीट से उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है। ऐसे में चांदनी चौक से कांग्रेस अलका लांबा पर दांव लगा भी सकती है, क्योेंकि वह चांदनी चौक से विधायक भी हैं।
बावजूद इसके उन्होंने इशारा किया है कि अगर कांग्रेस बुलाएगी तो वह वापस कांग्रेस ज्वाइन करेंगीं। उनका कहना है कि कांग्रेस बुलाती है या नहीं यह तो उस पर निर्भर करता है।
इस बाबत अलका लांबा ने एक ट्वीट भी किया है- '5 साल पहले दिल्ली में BJPको हराने के लिये मैंने काँग्रेस का 20साल पुराना साथ छोड़ा, BJP हारी। आज जब देश में BJP को हराने की बारी आई है तो 5 साल का साथ छोड़ना गलत कैसे? आज देख कर ख़ुशी हो रही है कि आप और मैं दोनों काँग्रेस के हाथ मजबूत करते हुए BJP को हारता हुआ देखना चाहते हैं।'
गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) से और फिर कांग्रेस जुड़ी रहीं। छात्र जीवन में अलका लांबा एनएसयूआइ की तरफ से चुनाव लड़ी थीं और दिल्ली विश्वविद्यालय स्टूडेंट्स यूनियन (Delhi University Students Union) की अध्यक्ष भी बनीं। ऐसे में अलका अगर कांग्रेस ज्वाइन करती हैं, तो यह घरवापसी जैसा होगा।
यहां पर बता दें कि इसी साल 12 जनवरी को अरविंद केजरीवाल के घर पर चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र की बैठक से अलका लांबा नहीं पहुंची थीं। कहा तो यहां तक गया है कि 12 जनवरी की इस बैठक के बारे में पार्टी नेतृत्व की तरफ से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई थी, ऐसे में उन्होंने इस बैठक में शिरकत करना मुनासिब नहीं समझा।
बता दें कि 12 जनवरी को शाम 6 बजे के बाद मुख्यमंत्री आवास पर बैठक हुई थी, लेकिन इसमें खुद अरविंद केजरीवाल मौजूद नहीं थे, बल्कि मंच पर दिल्ली प्रदेश संयोजक के साथ चांदनी चौक लोकसभा के प्रभारी पंकज गुप्ता मौजूद थे।
इससे पहले भी अलका लांबा 29 दिसम्बर 2018 को अरविंद केजरीवाल के घर हुई राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नहीं पहुंची थीं, उस दौरान अलका लांबा के नजदीकी सूत्रों ने बैठक का न्योता न मिलने का आरोप लगाया था।
इसलिए बढ़ी AAP-अलका में दूरी
इसी साल जनवरी महीने में AAP में तब घमासान मच गया, जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का भारत रत्न सम्मान वापस लेने की मांग से जुड़े दिल्ली विधानसभा से पारित कथित प्रस्ताव से नाराज पार्टी विधायक अलका लांबा से इस्तीफा मांगा गया है और लांबा ने भी कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनसे विधायक पद से इस्तीफा देने को कहा है और पार्टी प्रमुख के फैसले को स्वीकार कर इस्तीफा दे देंगी।
वहीं, अगले ही दिन मनीष सिसोदिया ने बताया था कि 1984 के सिख दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए विधानसभा में पिछले दो दिनों से चल रही चर्चा के दौरान पारित एक प्रस्ताव को लेकर यह विवाद पैदा हुआ था, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का भारत रत्न सम्मान वापस लेने की बात कही गई थी। मनीष सिसोदिया ने स्पष्ट किया था कि भारत रत्न सम्मान वापस लेने की बात मूल प्रस्ताव का हिस्सा नहीं थी, यह संशोधित प्रस्ताव था।
इससे पहले अलका लांबा ने ट्वीट किया था- 'दिल्ली विधानसभा में प्रस्ताव लाया गया की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी को दिया गया भारत रत्न वापस लिया जाना चाहिए, मुझे मेरे भाषण में इसका समर्थन करने को कहा गया, जो मुझे मंजूर नही था, मैंने सदन से वॉक आउट किया। अब इसकी जो सजा मिलेगी,मैं उसके लिए तैयार हूं।'
उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को किसी एक कार्य के लिए भारत रत्न नहीं मिलता है। देश के लिए जीवन पर्यन्त उल्लेखनीय कार्यों के लिए यह सम्मान दिया जाता है। इसलिए किसी एक वजह से भारत रत्न वापस लेने की बात का समर्थन करना उचित नहीं है। राजीव जी ने देश के लिए कुर्बानी दी है, इस बात को नहीं भुलाया जा सकता है। इसके बाद अलका ने ट्वीट किया- 'मुझे बेहद खुशी महसूस हो रही है कि पार्टी ने देश द्वारा स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी को दिए गए भारत रत्न का समर्थन किया है, श्री राजीव गांधी जी के अतुलनीय बलिदान और त्याग को यह देश कभी नही भुला सकता है। मैं उस प्रस्ताव की प्रति को हटा रही हूं,जो कि विधानसभा में पास ही नही हुई।'
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