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एक छात्रा ने दायर की याचिका कहा क्वारंटाइन केंद्र की स्थिति खराब, हाई कोर्ट ने दिया तत्काल कार्रवाई का आदेश

छात्रा ने याचिका में कहा कि जेएनयू परिसर में रहने के दौरान वह कोरोना संक्रमित हुई और वहां क्वारंटाइन करने की सुविधा नहीं होने के कारण उसे सुल्तानपुरी आइसोलेशन सेंटर में स्थानांतरित किया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 27 May 2021 02:54 PM (IST)Updated: Thu, 27 May 2021 02:54 PM (IST)
एक छात्रा ने दायर की याचिका कहा क्वारंटाइन केंद्र की स्थिति खराब, हाई कोर्ट ने दिया तत्काल कार्रवाई का आदेश
जेएनयू की एक छात्रा ने याचिका दायर कर कहा केंद्रों पर बरती जा रही है लापरवाही।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सुल्तानपुरी क्वारंटाइन केंद्र में सफाई से लेकर रहने और भोजन की खराब स्थिति को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की एक छात्रा की याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लेकर मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि याचिका में उठाई गई समस्याओं पर जल्द और व्यवहारिक कार्रवाई करें। पीठ ने इसके साथ ही याचिका का निपटारा कर दिया।

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जेएनयू छात्रा ने मांग की कि केंद्र का दौरान करने के लिए अदालत आयुक्त की नियुक्ति किया जाये। साथ ही क्वारंटाइन केंद्रों पर सफाई के साथ ही दिन में तीन बार डाक्टरों के दौरे का निर्देश देने की मांग की। छात्रा ने याचिका में कहा कि जेएनयू परिसर में रहने के दौरान वह कोरोना संक्रमित हुई और वहां क्वारंटाइन करने की सुविधा नहीं होने के कारण उसे सुल्तानपुरी आइसोलेशन सेंटर में स्थानांतरित किया गया था।

भोजन-दवा जैसी बुनियादी सुविधा नहीं

छात्रा ने दावा किया कि क्वारंटाइन सेंटर साफ-सुथरा नहीं था और मरीजों को कोई सुविधा नहीं दी गई है। छात्रा ने कहा कि वहां रहने के दौरान उन्होंने पाया कि केंद्र पर स्वच्छता की व्यवस्था नहीं है और भोजन, दवा, साफ गददे, कंबल और नियमित डाक्टर का दौरा व आक्सीजन की उचित निगरानी जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने में सरकारी अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं।

सबकुछ मरीज को ही करना होता है प्रबंध

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वार्डों में डाक्टर, नर्स ही नहीं कोई भी वार्ड अधिकारी नहीं आता है और मरीज अपने आप ही सब कुछ मैनेज करते हैं। शरीर का ताप जांचने से लेकर अाक्सीजन के स्तर की जांच करने के लिए भी कोई नहीं आता है। बुनियादी दवाएं प्राप्त करने के लिए भी मरीज को भवन के भूतल पर आना पड़ता है। वहां भी मरीज को धूप में कई बार एक घंटे तक लाइन में खड़े होकर दवा लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।


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