Delhi Congress News: कांग्रेस पार्टी को बाय-बाय कहने वाले हैं दिल्ली के एक वरिष्ठ नेता
Delhi Congress News जल्द ही कांग्रेस पार्टी को एक और बड़ा झटका लगने जा रहा है। कई बार के विधायक और दिल्ली सरकार में मंत्री भी रह चुके एक वरिष्ठ कांग्रेसी पार्टी को अलविदा कहने वाले हैं। दूसरी पार्टी के साथ इनकी कई दौर की बातचीत हो चुकी है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली कांग्रेस की हालत लगातार खराब होती जा रही है। अगले साल की पहली छमाही में दिल्ली नगर निगम 2022 के चुनाव होने हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी में कोई खास गतिविधि नहीं देखी जा रही है। उधर, दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी पिछले एक साल से दिल्ली नगर निगम चुनाव में जुट गई हैं। दिल्ली कांग्रेस की हालत बेहद खराब है। छोटे से छोटे और ब़ड़े से बड़े नेता पार्टी की हालत से वाकिफ हैं।
यही वजह है कि पिछले करीब डेढ़ दो साल में 40 से अधिक छोटे बड़े नेता दिल्ली कांग्रेस का हाथ छोड़ चुके हैं। जल्द ही पार्टी को एक और बड़ा झटका लगने जा रहा है। कई बार के विधायक और दिल्ली सरकार में मंत्री भी रह चुके एक वरिष्ठ कांग्रेसी पार्टी को अलविदा कहने वाले हैं। दूसरी पार्टी के साथ इनकी कई दौर की बातचीत हो चुकी है और एक दौर की वार्ता तो बुधवार को ही हुई है। पार्टी के कई धड़ों में इसकी चर्चा है, लेकिन हर बार की तरह प्रदेश नेतृत्व निश्चिंत नजर आ रहे है। न किसी को रोकने की कोशिश और न किसी के गिले शिकवे दूर करने का ही कोई प्रयास। राजनीतिक गलियारों में होने वाली चर्चा के क्रम में अक्सर यह बात भी उठती रही है कि जो अहं भाव और रूखा व्यवहार सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और भाजपा में भी नहीं दिखता, वह कांग्रेस में देखा जा सकता है।
गैर राजनीतिक दलों से भी कट रही कांग्रेस
दिल्ली में लगातार 15 साल शासन करने वाली कांग्रेस एक समय में यहां के तमाम गैर राजनीतिक संगठनों में भी अपनी अच्छी पैठ रखती थी। लेकिन आम जनता से भावनात्मक स्तर पर दूर होते होते अब यह उनसे भी कट गई है। उदाहरण के लिए हाल ही में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव हुए लेकिन कांग्रेस का कहीं किसी रूप में कोई रोल नजर नहीं आया। तीन दिनों से चल रहे डीडीसीए के चुनाव से भी कांग्रेस अलग-थलग है। कहने को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व मंत्री व प्रदेश के मौजूदा पदाधिकारियों में से भी कई कांग्रेसी इसके सदस्य हैं और अपने ढेरों समर्थक सदस्यों के साथ वोट डालने आए, लेकिन शायद प्रदेश कार्यालय अनभिज्ञ रहा। व्यापारी वर्ग से भी पार्टी लगभग दूर हो गई है। दो दिन पूर्व डीयू के शिक्षकों की पत्रकार वार्ता अवश्य ही प्रदेश कार्यालय में रखी गई, लेकिन वह भी अध्यक्ष की अनुपस्थिति में रस्म अदायगी रही।