Delhi News: सरकारी नौकरी के नाम पर लोगों को ठगने वाला आठवीं पास बना फर्जी आइएएस, गिरफ्तार
Delhi Newsपूछताछ में पता चला कि विनोद कुमार गाजियाबाद के लोनी में प्रापर्टी का काम करता है। यह पहले भी आपराधिक वारदातों में शामिल रहा है। चूकि राकेश नगर निगम में माली का कुछ साल पहले माली का काम करता था।
नई दिल्ली [धनंजय मिश्रा]। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सरकारी नौकरी लगवाने का झांसा देकर ठगी करने वाले गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपित यूपी के गाजियाबाद निवासी राकेश भड़ाना, रोहताश भड़ाना, प्रकाश भड़ाना दिल्ली निवासी विनोद और योगेश है। आरोपित राकेश और विनोद ही इस गिरोह के सरगना है।
राकेश नौकरी की तलाश कर रहे युवकों से एनडीएमसी में आइएएस अधिकारी बनकर मिलता था और नौकरी लगवाने के वादा करता था। आरोपितों द्वारा बीते छह माह में 30 लोगों से 60 लाख रुपयों की ठगी हैं। पीडि़त को विश्वास में लेने के लिए आरोपित फर्जी नियुक्ति पत्र भी देते थे।
पुलिस ने आरोपितों से नौ फर्जी आई-कार्ड, चार फर्जी नियुक्ति पत्र, लैपटाप और प्रिंटर लैपटाप आदि बरामद किए हैं। राकेश और विनोद पर पहले से आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। क्राइम ब्रांच के उपायुक्त अमित गोयल के मुताबिक, पालम गांव ने रहने वाले अंकित शर्मा (26) ने अपनी शिकायत में बताया कि वो सरकारी नौकरी की तलाश में थे।
एक रिश्तेदार के जरिये सुनील मलिक और विनोद से मिले, जिन्होंने एनडीएमसी में नौकरी दिलाने का वादा किया। नौकरी के लिउ सभी से 10-10 लाख रुपये की डिमांड की। नियुक्ति होने के दो से तीन महीने बाद पैसा लेने को कहा। आरोपित विनोद उन्हें राकेश भड़ाना के पास ले गया, जिसे उसने एनडीएमसी में कार्यरत आइएएस अधिकारी बताया। पीडि़त ने राकेश को पांच लाख रुपये नकद, और 80 हजार रुपये आनलाइन एप के जरिए दिए।
आरोपितों ने अंकित को एक आइकार्ड दिया जिसपर जारी करने की तारीख 10 जून लिखी थी। लेकिन यह आइकार्ड अंकित को 27 मई को दिया गया था। ऐसे में अंकित को शक हुआ। मामले की जांच के लिए एसीपी रमेश लांबा की देखरेख में इंस्पेक्टर अनिल शर्मा, एसआइ अजय कुमार और महाबीर सिंह समेत कई पुलिसकर्मियों की टीम बनाई गई।
पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस के जरिये मामले में शामिल सभी पांच आरोपितों को दबोचा लिया। पूछताछ में पता चला कि विनोद कुमार गाजियाबाद के लोनी में प्रापर्टी का काम करता है। यह पहले भी आपराधिक वारदातों में शामिल रहा है। चूकि राकेश नगर निगम में माली का कुछ साल पहले माली का काम करता था।
ऐसे में उसे नगर निगम के कामकाज आदि के बारे में जानकारी थी। ऐसे में विनोद सरकारी नौकरी चाहने वालों को राकेश से मिलवाता था। ताकि पीडि़त उसके झांसे में आ जाएं। वहीं आरोपित योगेश फर्जी आइकार्ड और नियुक्ति पत्र तैयार करता था। फिलहाल पुलिस आरोपितों से पूछताछ कर रही है।