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Delhi News: मुंडका अग्निकांड में 27 लोगों की मौत के जिम्मेदार चार अधिकारियों पर गिरी गाज, तीन निलंबित, जेई पर चलेगा विजिलेंस केस

निगम के अनुसार 2011 में यह इलाका एकीकृत दिल्ली नगर निगम में आता था। नजफगढ़ जोनके तहत यहां पर प्रशासनिक कार्य होता था। निगम ने अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी न निभा पाने के लिए दोषी मानते हुए यह कार्रवाई की है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 08:19 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 09:36 PM (IST)
Delhi News: मुंडका अग्निकांड में 27 लोगों की मौत के जिम्मेदार चार अधिकारियों पर गिरी गाज, तीन निलंबित, जेई पर चलेगा विजिलेंस केस
निगम के अनुसार वर्ष 2011 में इमारत का निर्माण हो रहा था।

नई दिल्ली [निहाल सिंह]। जिस मुंडका अग्निकांड में 27 लोगों की जिदंगी का स्वाहा हो गई उसमें उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने बड़ी कार्रवाई की है। निगम ने प्रथम दृष्टया तीन अधिकारियों को जिम्मेदार मानते हुए निलंबित कर दिया है जबकि अवैध निर्माण को रोकने में नाकाम रहे 2011 में तैनात जूनियर इंजीनियर पर विजिलेंस केस करने के आदेश हुए है। यह पहली बार है कि नौ साल पुराने मामले में किसी जूनियर इंजीनियर की विजिलेंस जांच हो रही हो। जबकि नियम है कि चार साल से ज्यादा पुराने मामले में विजिलेंस जांच नहीं हो सकती। हालांकि मुंडका अग्निकांड को गंभीरता से लेते हुए निगम ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि लापरवाही हुई तो उसे कभी भी छोड़ा नहीं जाएगा।

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उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण ने भी इमारत के अवैध निर्माण में जूनियर इंजीनियर की लापरवाही के मुद्दे को उठाया था। जिस पर निगम ने विजिलेंस जांच करने के निर्देश दिए हैं। निगम के अनुसार वर्ष 2011 में इमारत का निर्माण हो रहा था। इस दौरान इमारत को अवैध निर्माण के चलते चिह्नित भी किया गया। जिस पर कार्रवाई की जिम्मेदारी जूनियर इंजीनियर की थी। लेकिन कभी फोर्स न मिलने का बहाना या फिर नाम के लिए कार्रवाई के चलते इमारत खड़ी हो गई।

इसके बाद इस इमारत को दिल्ली स्पेशल प्रवोजिन एक्ट के तहत इस इमारत को संरक्षण मिल गया। जिसके बाद इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए निगम ने एक जनवरी 2011 से लेकर 31 दिसंबर 2011 तक तैनात जूनियर इंजीनियर पर विजिलेंस जांच के आदेश दिए है। निगम के अनुसार 2011 में यह इलाका एकीकृत दिल्ली नगर निगम में आता था। नजफगढ़ जोनके तहत यहां पर प्रशासनिक कार्य होता था। निगम ने अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी न निभा पाने के लिए दोषी मानते हुए यह कार्रवाई की है।

क्यों की गई इन अधिकारियों पर कार्रवाई

संदीप कौशिक,लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर

इलाके में बतौर लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर पद पर तैनात था। जिसकी जिम्मेदारी थी कि वह इलाके में अवैध रूप से होने वाली व्यावसायिक गतिविधियों को रोके। अपनी जिम्मेदारी को अगर संदीप ने निभाया होता तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता।

-एसके शर्मा, सेक्शन आफिसर (जनरल ब्रांच)

सेक्शन आफिसर जूनियर इंजीनियर के कामकाज की निगरानी करता है। ऐसे में बिना लाइसेंस और अवैध रूप से चलने वाली फैक्ट्री को बंद करने में नाकाम रहने पर निलंबित किया गया

-बीआर मीणा, सेक्शन आफिसर (संपत्तिकर)

2011 से यह इमारत बनी हुई थी। इतनी बड़ी व्यावसायिक इमारत होने के बाद भी निगम इससे संपत्तिकर लेने में नाकाम रहा। ऐसे में संपत्ति कर विभाग के सेक्सन आफिसर को भी निलंबित किया गया।


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