2012 Delhi Nirbhaya Case: इन 2 वजहों से टल सकती है शुक्रवार सुबह होने वाली फांसी
2012 Delhi Nirbhaya Case शुक्रवार सुबह होने वाली फांसी से बचने के लिए चारों दोषियों ने पैंतरेबाजी तेज कर दी है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। 2012 Delhi Nirbhaya Case: शुक्रवार सुबह होने वाली फांसी से बचने के लिए निर्भया के चारों दोषियों ने पैंतरेबाजी तेज कर दी है। कानून के जानकारों की मानें तो फांसी से 24 घंटे पहले तक चारों दोषियों ने हर वह दांव चल दिया है, जिससे शुक्रवार सुबह होने वाली फांसी टल जाए। आइये जानते हैं वे 2 बड़े कारण, जिसकी वजह से चारों की फांसी टल भी सकती है।
अक्षय की बीवी की चाल से फांसी टलने के आसार
पिछले दिनों चारों दोषियों में से एक अक्षय सिंह ठाकुर (Akshay Singh Thakur) की पत्नी पुनीता देवी ने एक कानूनी पैंतरा चलते हुए औरंगाबाद कोर्ट (बिहार) में याचिका दाखिल कर मांग की है कि वह अपने पति से तलाक लेना चाहती है। इसके पीछे अक्षय की पत्नी ने तर्क दिया है कि वह विधवा होकर नहीं मरना चाहती है, ऐसे में उसका अपने पति से तलाक करवाया जाएगा।
वहीं, इस मामले में अक्षय ठाकुर को बृहस्पतिवार को कोर्ट में अपना जवाब देने के लिए प्रस्तुत होना था, लेकिन तिहाड़ जेल में बंद होने के चलते वह औरंगाबाद नहीं पहुंच सका। इस मामले में अब 24 मार्च को औरंगाबाद कोर्ट में सुनवाई होगी। ऐसे में फांसी टालने के लिए दोषी अक्षय के वकील के पास यह आधार बन सकता है कि उसका पत्नी से तलाक का मामला कोर्ट में लंबित है। दोषियों के वकील एपी सिंह ने भी दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में फांसी टालने के लिए अक्षय की पत्नी की तलाक की याचिका को भी आधार बनाया है, जिस पर बृहस्पतिवार दोपहर कोर्ट सुनवाई करेगा।
मुकेश की लंबित याचिका पर भी फंसा पेंच
गौरतलब है कि दोषी अक्षय कुमार सिंह ने दोबारा राष्ट्रपति के समक्ष याचिका दायर कर फांसी से रहम की गुहार लगाई है। इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। ऐसे में यह तर्क बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान पटियाला हाउस कोर्ट के समक्ष दोषियों के वकील की ओर से रखा जाएगा।
इसके अलावा, चारों दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि चारों को दी जाने वाली फांसी के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट में अपील की गई है तो ऐसे शुक्रवार को सुबह कैसे फांसी दी जा सकती है?
इसी के साथ निर्भया से जुड़ा एक मामला चुनाव आयोग में लंबित है। दरअसल, दोषी विनय कुमार शर्मा की ओर से भारतीय निर्वाचन आयोग में अर्जी देकर कहा गया है कि जब दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन ने जब 29 जनवरी को राष्ट्रपति के पास विनय की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की थी, तो वह न तो मंत्री और न ही विधायक। ऐसे में किस हैसियत से उन्होंने दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की थी। याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि ऐसे सत्येंद्र जैन का याचिका को खारिज करने की सिफारिश करना गैरकानूनी होने के साथ असंवैधानिक भी है, क्योंकि जब याचिका पर फैसला लिया गया तब तो दिल्ली में चुनाव आदर्श संहिता लागू थी।