जानिए, आतंकियों ने दिल्ली में 2005 में क्यों किए थे सीरियल बम धमाके
आरोपपत्र में इस बात का जिक्र है कि हमले का मकसद लालकिला हमले के उनके साथियों की सजा के फैसले को प्रभावित करने अथवा उसका बदला लेना रहा था।
नई दिल्ली (जेएनएन)। 29 अक्टूबर, 2005 को दिल्ली के तीन अलग-अलग इलाकों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में 11 साल बाद बृहस्पतिवार को फैसला सुनाया जाएगा। पटियाला हाउस कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश सिंह अपना फैसला देंगे।
सीरियल ब्लास्ट मामले की पुलिस जांच में सामने आया कि यह हमला लालकिला हमले के फैसले को प्रभावित करने के लिए किया गया था। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि इन धमाकों के बाद कई आतंकी संगठनों ने ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली थी। उन्होंने इसे देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के बिगुल बताया था।
22 दिसंबर 2000 को आतंकियों ने दिल्ली के लालकिले पर हमला किया था। इस हमले में सेना के तीन जवान मारे गए थे। कड़कड़डूमा स्थित एडिशनल सेशन जज ओ पी सैनी की अदालत ने हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरु एवं अन्य की सजा पर फैसले के लिए 29 अक्तूबर 2005 की तारीख तय की। 29 अक्तूबर की सुबह आरोपियों को अदालत में पेश किया गया।
आया था धमकी भरा फोन
अभी मामले पर सुनवाई चल ही रही थी कि अदालत स्थित पुलिस चौकी में एक गुमनाम फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि अगर उनके साथियों को सजा सुनाई गई तो वह अदालत को बम से उड़ा देंगे। इस फोन के बाद अदालत परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई। हालांकि तकनीकी खराबी के कारण अदालत परिसर में बिजली न होने के कारण फैसला टल गया। उस दिन देर शाम दिल्ली में तीन जगह बड़े धमाकों की खबर ने हडकंप मचा दिया।
आरोप पत्र में आतंकियों का मंशा का जिक्र
दिल्ली पुलिस ने अदालत में दाखिल आरोपपत्र में इस बात का जिक्र किया है कि इस हमले के पीछे आतंकियों का मकसद लालकिला हमले के उनके साथियों की सजा के फैसले को प्रभावित करने अथवा उसका बदला लेना रहा था।