Encounter In Delhi: जिगरी दोस्तों को एक प्लॉट ने बना दिया दुश्मन, दोनों ने गंवा दी जान
रविवार दोपहर में बिंदापुर थाना क्षेत्र में पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हो गई जिसमें पुलिस की गोली का शिकार हुए दो बदमाशों की मौत हो गई।
नई दिल्ली, जेएनएन। भीड़भाड़ से भरे द्वारका मोड़ मेट्रो स्टेशन के ठीक नीचे रविवार को प्लॉट को लेकर गैंगवार में कार सवार बदमाश की हत्या कर दी गई, जिसे 12 गोलियां लगी हैं। इस दौरान पुलिस फायरिंग में हमलावर एक अन्य बदमाश की भी मौत हो गई। गैंगवार मंजीत महाल गिरोह के दो गुटों में हुआ। मृतकों की पहचान प्रवीण गहलोत उर्फ गोलू व विकास दलाल के रूप में हुई है। बिंदापुर थाना पुलिस मामले की जांच में जुटी है। पुलिस को हमलावर बदमाश के साथ आए उसके साथियों की तलाश है। पुलिस के अनुसार, मोहन गार्डन में एक प्लॉट को लेकर दोनों गुटों के बीच विवाद काफी समय से चल रहा था। अपराध की दुनिया में कभी दोस्त रहे प्रवीण व विकास की मौत एक साथ होगी। इसका अंदाजा दोनों में से किसी को नहीं रहा होगा। दोनों मंजीत महाल गिरोह के बदमाश थे। मोहन गार्डन में एक प्लॉट को लेकर हुए विवाद ने दोनों दोस्तों को एक-दूसरे का जानी दुश्मन बना दिया था। प्लॉट की लड़ाई के बाद दोनों भले ही एक गिरोह के थे, लेकिन गिरोह के भीतर दोनों का अलग-अलग गैंग बना हुआ था।
पुलिस के अनुसार प्रवीण नवादा गांव का रहने वाला था। वहीं विकास दलाल हरियाणा के झज्जर जिला स्थित रिवाड़ी खेड़ा का रहने वाला था। दोनों की आपराधिक गतिविधि झज्जर, बहादुरगढ़ व नजफगढ़ इलाके में थी, लेकिन पिछले दो वर्षो से इन्होंने नजफगढ़ से आगे बढ़ते हुए उत्तम नगर तक में गतिविधियां बढ़ा दी थी। प्रवीण को लगता था कि नवादा गांव का होने के कारण नजफगढ़ से उत्तम नगर के बीच केवल उसकी ही चलेगी। विकास को यह बात मंजूर नहीं थी। उसे नजफगढ़ से लेकर उत्तम नगर के बीच प्रवीण की मजबूती हमेशा खलती थी। गिरोह के लोगों ने मोहन गार्डन में एक प्लाट पर कब्जा किया था। प्लाट मोहन गार्डन में होने के चलते प्रवीण इस प्लाट पर अपना कब्जा चाहता था। प्रवीण ने इस प्लाट पर अपने कुछ लोगों को काम शुरू करने के लिए कहा था। यह बात विकास को पता चली तो उसने प्रवीण का विरोध किया और प्लाट पर अपना अधिकार जमाया। दोनों में इस बात को लेकर विवाद हो गया और दोनों एक-दूसरे के दुश्मन बन गए। जिसके बाद मंजीत गिरोह दो गुटों में बंट गया। एक गुट प्रवीण और दूसरा गुट विकास के लिए काम करता था। पुलिस अधिकारियों की मानें तो डेढ़ साल पहले शुरू हुई दुश्मनी के बाद विकास ने प्रवीण पर तीन बार हमले की योजना की, लेकिन तीनों बार प्रवीण बच गया। रविवार की सुबह विकास को प्रवीण के मोहन गार्डन आने की सूचना मिली थी। जिसके बाद विकास ने अपने गुट के लोगों के साथ प्रवीण पर हमले की योजना बनाई। विकास और उसके साथियों ने नवादा गांव से ही प्रवीण का पीछा शुरू किया था। द्वारका मोड़ मेट्रो स्टेशन के नीचे मोटरसाइकिल सवार विकास के साथी ने प्रवीण को रुकने का इशारा किया। वहीं विकास ने प्रवीण की गाड़ी को ओवरटेक कर साथियों के साथ उस पर फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस अधिकारियों की मानें तो पिछले वर्ष दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने प्रवीण को गिरफ्तार किया था। प्रवीण की गिरफ्तारी के पीछे उसके गुट के लोग विकास व उसके साथियों का हाथ मानते थे। प्रवीण के गुट के लोगों को लगता था कि विकास ने ही पुलिस को प्रवीण के बारे में सूचना दी थी।
पश्चिमी रेंज के संयुक्त पुलिस आयुक्त मधुप तिवारी ने बताया कि रविवार अपराह्न् करीब 3:45 बजे द्वारका मोड़ पर कार से प्रवीण नवादा से द्वारका मोड़ जा रहा था। इसी दौरान राजस्थान नंबर की एक कार प्रवीण की कार को ओवरटेक कर रोक लेती है। कार के अलावा एक बदमाश मोटरसाइकिल पर भी सवार था। प्रवीण की कार रुकते ही राजस्थान नंबर की कार व मोटरसाइकिल सवार बदमाश ताबड़तोड़ गोलियां चला दी। प्रवीण कार में ही ढेर हो गया, तभी सड़क के दूसरी ओर पीसीआर पर तैनात कांस्टेबल नरेश गोलियों की आवाज से चौकन्ने हुए और बदमाशों को दबोचने के इरादे से मेट्रो पीलर की आड़ में खड़े हो गए और विकास को निशाना बनाते हुए तीन गोलियां दागी। एक गोली विकास के हाथ तो वहीं दो गोली विकास के सिर में लगी। विकास को सड़क पर ढेर देख उसके दो साथी दोबारा से प्रवीण पर गोलियां बरसाने लगे। जब उन्हें लगा कि प्रवीण की मौत हो गई है तो वह निढाल पड़े विकास के पास गए, जिससे कि वह उसे अपने साथ ले जा सके, लेकिन इसी दौरान पुलिसकर्मियों को पहुंचता देख कार से फरार हो गए जबकि बाइक घटनास्थल पर ही बदमाशों ने छोड़ दी। हमलावरों में एक ने हेलमेट पहना रख था।
काले रंग की कार बनी मिस्ट्री
पुलिस को घटनास्थल के पास से मृतक प्रवीण की कार व मोटरसाइकिल के अलावा एक काले रंग की कार मिली है, जिसके शीशे टूटे हैं। पुलिस को आशंका है कि हमलावरों की संख्या आधा दर्जन से अधिक हो सकती है। इस कार पर दिल्ली का नंबर है।
अपराध की दुनिया में कभी दोस्त रहे प्रवीण व विकास की मौत एक साथ होगी। इसका अंदाजा दोनों में से किसी को नहीं रहा होगा। दोनों मंजीत महाल गिरोह के बदमाश थे। मोहन गार्डन में एक प्लॉट को लेकर हुए विवाद ने दोनों दोस्तों को एक-दूसरे का जानी दुश्मन बना दिया था। प्लॉट की लड़ाई के बाद दोनों भले ही एक गिरोह के थे, लेकिन गिरोह के भीतर दोनों का अलग-अलग गैंग बना हुआ था।
पुलिस के अनुसार प्रवीण नवादा गांव का रहने वाला था। वहीं विकास दलाल हरियाणा के झज्जर जिला स्थित रिवाड़ी खेड़ा का रहने वाला था। दोनों की आपराधिक गतिविधि झज्जर, बहादुरगढ़ व नजफगढ़ इलाके में थी, लेकिन पिछले दो वर्षों से इन्होंने नजफगढ़ से आगे बढ़ते हुए उत्तम नगर तक में गतिविधियां बढ़ा दी थी।
प्रवीण को लगता था कि नवादा गांव का होने के कारण नजफगढ़ से उत्तम नगर के बीच केवल उसकी ही चलेगी। विकास को यह बात मंजूर नहीं थी। उसे नजफगढ़ से लेकर उत्तम नगर के बीच प्रवीण की मजबूती हमेशा खलती थी। गिरोह के लोगों ने मोहन गार्डन में एक प्लाट पर कब्जा किया था। प्लाट मोहन गार्डन में होने के चलते प्रवीण इस प्लाट पर अपना कब्जा चाहता था। प्रवीण ने इस प्लाट पर अपने कुछ लोगों को काम शुरू करने के लिए कहा था। यह बात विकास को पता चली तो उसने प्रवीण का विरोध किया और प्लाट पर अपना अधिकार जमाया। दोनों में इस बात को लेकर विवाद हो गया और दोनों एक-दूसरे के दुश्मन बन गए। जिसके बाद मंजीत गिरोह दो गुटों में बंट गया। एक गुट प्रवीण और दूसरा गुट विकास के लिए काम करता था।
पुलिस अधिकारियों की मानें तो डेढ़ साल पहले शुरू हुई दुश्मनी के बाद विकास ने प्रवीण पर तीन बार हमले की योजना की, लेकिन तीनों बार प्रवीण बच गया। रविवार की सुबह विकास को प्रवीण के मोहन गार्डन आने की सूचना मिली थी। जिसके बाद विकास ने अपने गुट के लोगों के साथ प्रवीण पर हमले की योजना बनाई। विकास और उसके साथियों ने नवादा गांव से ही प्रवीण का पीछा शुरू किया था। द्वारका मोड़ मेट्रो स्टेशन के नीचे मोटरसाइकिल सवार विकास के साथी ने प्रवीण को रुकने का इशारा किया। वहीं विकास ने प्रवीण की गाड़ी को ओवरटेक कर साथियों के साथ उस पर फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस अधिकारियों की मानें तो पिछले वर्ष दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने प्रवीण को गिरफ्तार किया था। प्रवीण की गिरफ्तारी के पीछे उसके गुट के लोग विकास व उसके साथियों का हाथ मानते थे। प्रवीण के गुट के लोगों को लगता था कि विकास ने ही पुलिस को प्रवीण के बारे में सूचना दी थी।
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