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जन्म के दूसरे दिन मां की मौत फिर पिता को खोया; 4 साल से प्रेमी होटल में कर रहा था 'गंदा' काम

15 की उम्र में उन्हें मंगोलपुरी के ही रहने वाले दिनेश ने प्रेमजाल में फंसा लिया और शादी का झांसा देकर हवस का शिकार बनाना शुरू कर दिया।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 15 Jun 2018 10:51 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jun 2018 01:19 PM (IST)
जन्म के दूसरे दिन मां की मौत फिर पिता को खोया; 4 साल से प्रेमी होटल में कर रहा था 'गंदा' काम

नई दिल्ली (राकेश कुमार सिंह)। मंगोलपुरी में शादी का झांसा देकर 19 वर्षीय युवती के साथ 15 की उम्र से दुष्कर्म करने का मामला सामने आया है। युवती की शिकायत पर मंगोलपुरी थाना पुलिस ने आरोपित दिनेश (45) के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। पुलिस फरार आरोपित की तलाश कर रही है।

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उल्लेखनीय है कि बचपन से ही युवती ने कई बार दुख का पहाड़ झेला है। उनके जन्म के दूसरे दिन ही उनकी मां चल बसी थीं। वहीं, छह साल की उम्र में पिता की भी मृत्यु हो गई थी। तब से वह मंगोलपुरी में दादी के साथ रहती हैं, जबकि नानी आर्थिक मदद करती हैं। कुछ सालों से दादी को मिलने वाली वृद्धा पेंशन से किसी तरह घर का गुजारा चलता रहा। मगर, 15 की उम्र में उन्हें मंगोलपुरी के ही रहने वाले दिनेश ने प्रेमजाल में फंसा लिया और शादी का झांसा देकर हवस का शिकार बनाना शुरू कर दिया।

दिनेश उन्हें नागलोई, उद्योग नगर मेट्रो स्टेशन के पास स्थित होटल रेडिसन में बुलाकर दुष्कर्म करता था। बालिग होने पर नानी ने आर्थिक मदद के तौर पर युवती के नाम 60 गज का मकान कर दिया। मगर, आरोपित ने गत फरवरी में युवती से यह कहकर मकान 35 लाख में बिकवा दिया कि उसपर कुछ कर्ज हो गया है।

उसने वादा किया था कि कर्ज चुका कर वह नई जगह पर मकान खरीदेगा और शादी करके दोनों उसी में रहेंगे। लेकिन, उसने सारा रुपया गबन कर दिया। साथ ही युवती से शादी करने से भी इन्कार कर दिया।

इसपर युवती ने उसके बारे में छानबीन की तो पता चला कि वह पहले से शादीशुदा है और उसके दो बच्चे भी हैं। युवती ने रुपये लौटाने की बात कही तो वह जान से मारने की धमकी देने लगा। इसके बाद युवती ने उसके खिलाफ केस दर्ज कराया।

केस दर्ज कराने को कई दिनों तक तीन थानों के चक्कर काटती रही पीड़िता

मंगोलपुरी निवासी दुष्कर्म पीड़िता को केस दर्ज कराने के लिए तीन थानों की पुलिस ने 15 दिनों तक घुमाया। युवती ने सबसे पहले मई के आखिरी सप्ताह में मंगोलपुरी थाने में शिकायत की थी, मगर वहां उनकी नहीं सुनी गई। थानाध्यक्ष ने युवती से कहा कि वह बेकार के मुकदमे के चक्कर में न पड़े और पांच जून को थाने आ जाए, क्योंकि उस दिन दिनेश को भी उन्होंने बुलाया है। उस दिन दिनेश थाने नहीं आया। इसपर युवती ने पुलिसकर्मियों से मुकदमा दर्ज करने की गुहार लगाई। मगर, पुलिसकर्मियों ने उनकी नहीं सुनी। हालांकि, एक पुलिसकर्मी ने उन्हें समाजसेविका शुब्रा मेंहदीरत्ता का नंबर दिया और उनसे इस बाबत बात करने को कहा। युवती ने जब उन्हें आपबीती सुनाई, तो शिकायत बनाकर वह युवती के साथ नांगलोई थाना गईं। लेकिन, नांगलोई पुलिस ने बताया कि होटल रेडिसन मियांवली इलाके में पड़ता है। दोनों जब वहां गए, तब मियांवली पुलिस ने बताया कि वह मंगोलपुरी में मुकदमा दर्ज कराएं, क्योंकि युवती वहीं की रहने वाली हैं। इसके बाद बुधवार को मंगोलपुरी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। अब बड़ा सवाल यह है कि केस दर्ज करने के लिए युवती को 15 दिनों तक तीन थानों की पुलिस क्यों घुमाती रही? अब पहले की तरह महिला अपराध को लेकर पुलिस गंभीर क्यों नहीं है? क्या राजधानी में जीरो एफआइआर की परंपरा बंद कर दी गई है? पुलिस अधिकारी का कहना है कि इस तरह के मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ जब तक सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक स्थिति नहीं सुधरेगी।

हवा हवाई पुलिस के दावे

वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद दिल्ली पुलिस आयुक्त ने कई दावे किए थे। मसलन, छह माह के अंदर दिल्ली के सभी थानों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाकर छह-नौ कर दी जाएगी, जिनमें चार-पांच महिला सब इंस्पेक्टर होंगी। दरअसल, उन दिनों महिला अपराध का मामला उठने पर पता चला था कि दिल्ली के सभी थानों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या काफी कम है। कई थानों में तो एक भी महिला सब इंस्पेक्टरनहीं थी, जबकि दुष्कर्म के केस में महिला एसआइ को ही जांच अधिकारी बनाने का प्रावधान है।

उल्लेखनीय है कि आज भी दिल्ली के थानों के हालात नहीं सुधरे हैं और पुलिस आयुक्त के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। जिस दक्षिण जिले में वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी, आज उस जिले के कुछ थानों में एक , जबकि कुछ में दो महिला सब इंस्पेक्टर की तैनाती है। छुट्टी पर जाने पर थाने में एक भी महिला सब इंस्पेक्टर ड्यूटी पर नहीं रहती हैं। हाल ही में ऐसा एक उदाहरण सामने भी आया, जब कोटला मुबारकपुर थानाक्षेत्र में दुष्कर्म के केस की जांच अधिकारी डिफेंस कॉलोनी की एटीओ महिला इंस्पेक्टर सुषमा को बनाया गया। दरअसल, कोटला मुबारकपुर थाने में मात्र एक महिला सब इंस्पेक्टर हैं और वह उन दिनों छुट्टी पर थीं। वहां कोई महिला एएसआइ भी नहीं है।

पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल

वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने महिला अपराध के मामले में कुछ नए नियम बनाए थे और उनका अनुकरण करने के दावे किए थे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण यह था कि महिलाओं की शिकायत तुरंत सुनकर उसपर त्वरित कार्रवाई की जाए। तत्कालीन पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने यह निर्देश जारी किया था कि महिला दिन अथवा रात किसी भी समय किसी भी थाने में शिकायत लेकर जाए तो उनकी शिकायत पर तुरंत मुकदमा दर्ज किया जाए। अगर शिकायत दूसरे थाने से संबंधित है तो जीरो एफआइआर दर्ज कर उसे संबंधित थाने को भेज दिया जाए। इसके बाद ही दिल्ली में जीरो एफआइआर दर्ज होनी शुरू हुई। इसका पहला शिकार आशाराम बापू ही हुए। युवती शिकायत लेकर कमला मार्केट थाने आ गई थीं। पुलिस ने जीरो एफआइआर दर्ज कर सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद एफआइआर राजस्थान भेज दी थी। उसके बाद कई वर्षो तक दिल्ली में पुलिस गंभीर दिखी। मगर, मंगोलपुरी मामले से फिर से महिला अपराध पर पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है।


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