17 लोगों की कब्रगाह बनने से बच सकता था बवाना, जानें कहां हुई बड़ी चूक
इस अग्निकांड ने दिल्ली सरकार और नगर निगम दोनों के लापरवाह अधिकारियों को बेनकाब कर दिया है। यह बात अलग है कि इन पर कार्रवाई अब भी शायद ही कोई हो।
नई दिल्ली [ संजीव गुप्ता ] । सरकारी महकमा अगर अपने दायित्व के प्रति जरा भी सचेत होते तो बवाना औद्योगिक क्षेत्र शनिवार शाम 17 लोगों की कब्रगाह नहीं बनता। इस अग्निकांड ने दिल्ली सरकार और नगर निगम दोनों के लापरवाह अधिकारियों को बेनकाब कर दिया है। यह बात अलग है कि इन पर कार्रवाई अब भी शायद ही कोई हो।
इस तरह बसा यह औद्योगिक क्षेत्र, बने भवन उप नियम और नक्शा
दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं ढांचागत विकास निगम (डीएसआइआइडीसी) ने 1999 से 2000 के दौरान बवाना औद्योगिक क्षेत्र में 16 हजार प्लॉट काटे और कब्जा देना शुरू किया। यह फ्लैट 100, 150, 200 और 250 वर्ग मीटर के थे। जब इन पर पर निर्माण कार्य शुरू हुआ तो अवैध निर्माण की शिकायतें सामने आने लगी। तब अग्निशमन विभाग, नगर निगम, डीएसआइआइडीसी, उद्योग विभाग इत्यादि तमाम संबंधित विभागों के प्रतिनिधियों ने मिलकर इन फैक्ट्रियों के भवन उप नियमों का एक नक्शा तैयार किया। लेकिन भ्रष्टाचार की हद यह रही कि नक्शा एवं भवन उप नियम भी अधिकारियों और सरकारी विभागों के लिए कमाई का जरिया बन गए।
यह हैं भवन उप नियम
100 से 150 गर्व मीटर क्षेत्रफल की फैक्ट्रियों में निर्माण के दौरान 3 मीटर की जगह आगे खाली छोडऩी थी और तीन मीटर की पीछे। 200 वर्ग मीटर की फैक्ट्री में आगे साढ़े चार मीटर जबकि पीछे साढ़े 3 मीटर जगह छोडऩी जरूरी है और 250 वर्ग मीटर की फैक्ट्री में आगे साढ़े छह मीटर जबकि पीछे साढ़े तीन मीटर जगह छोडऩे का नियम है। पीछे की ओर पहली मंजिल से धरातल तक एक लोहे की सीढ़ी होनी अनिवार्य है। फैक्ट्रियों की ऊंचाई 15 मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। सभी फैक्ट्रियों में बेसमेंट 40 फीसद, भूतल 60 फीसद और पहली मंजिल को 25 फीसद तक कवर किया जा सकता है।
2008 में अग्निशमन विभाग ने भी की थी आपत्ति
प्रथम तल से धरातल तक पीछे की ओर लोहे की जिस सीढ़ी को रखने का जो नियम बनाया था, उसकी चौड़ाई 1.2 मीटर रखी गई थी। सन 2008 में अग्निशमन विभाग ने इसे कम बताते हुए इसकी चौड़ाई 1.5 मीटर करने का नियम बनाने का सुझाव दिया। लेकिन उक्त सुझाव भी कागजी दस्तावेज ही बनकर रह गया।
यह है हकीकत
बवाना औद्योगिक क्षेत्र में 99 फीसद फैक्ट्रियों के निर्माण में अनियमितताएं हैं। अधिकांश में बेसमेंट, पहली मंजिल और दूसरी मंजिल को पूर्णतया कवर करके बनाया गया है। खाली जगह कहीं छोड़ी ही नहीं गई। आगे पीछे दो द्वार रखने के नियम का भी उद्यमियों ने पालन नहीं किया। न ही आपातकालीन निकास के लिए लोहे की सीढ़ी रखने पर अमल किया गाय।
जिस फैक्ट्री में आग लगी, वहां भी थे यही हालात
बवाना औद्योगिक क्षेत्र सेक्टर 5 स्थित जिस पटाखा फैक्ट्री में आग लगी, वहां भी यही हालात थे। 100 फीसद तक निर्माण हो रखा था। आपातकालीन द्वार और सीढ़ी की भी व्यवस्था नहीं थी। इसीलिए फंसे हुए लोग निकल नहीं पाए। निकलने की जगह न होने से ही छत से कूदना तक पड़ गया।
यह भी है कड़वी सच्चाई
कहने को बवाना औद्योगिक क्षेत्र में 16 हजार फैक्ट्रियां हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि बमुश्किल 25 फीसद में ही असल उद्यमी अपनी फैक्ट्री चला रहे हैं। करीब 75 फीसद फैक्ट्रियां किराए पर चल रही हैं। हैरत की बात यह कि बहुत सी फैक्ट्रियों में तो प्रोपर्टी डीलर के आफिस तक चल रहे हैं।