Secret of The City: 100 मशहूर लोग खोलेंगे हजारों वर्ष पुराने इस शहर के रहस्य
शहर की चारदीवारी के अंदर तमाम ऐतिहासिक घटनाएं इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। शहर कभी रक्तरंजित हुआ तो कभी अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का ध्वज थामे सबसे आगे खड़ा भी हुआ।
100 लोग खोलेंगे इस शहर का राज, बना खूूनी साजिश और कई खौफनाक लड़ाई का स्थलनई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। दिल्ली का इतिहास महाभारत के जितना ही पुराना है। शहर जिसे इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था, जहां कभी पांडव रहे। समय के साथ-साथ इंद्रप्रस्थ के आसपास आठ शहर लाल कोट, दीनपनाह, किला राय पिथौरा, फिरोजाबाद, जहांपनाह, तुगलकाबाद और शाहजहांनाबाद बसते रहे। शहर की चारदीवारी के अंदर तमाम ऐतिहासिक घटनाएं इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। शहर कभी रक्तरंजित हुआ तो कभी अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का ध्वज थामे सबसे आगे खड़ा भी हुआ। शहर की इन्हीं सारी घटनाओं, समय के साथ कदमताल कर विकास की कहानी सुनाने के लिए पहली बार एक अनूठी पहल की गई है।
दिल्ली अभिलेखागार विभाग ने विभिन्न क्षेत्रों की 100 प्रसिद्ध शख्सियतों की जुबानी दिल्ली के भूत-भविष्य और वर्तमान की कहानी सुनाने की योजना बनाई है। विभाग ने अंबेडकर विश्वविद्यालय के साथ मिलकर एक साल के अंदर इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य तय किया है।
क्या है ओरल हिस्ट्री
प्रोजेक्ट विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि दिल्ली का इतिहास समृद्ध है। यहां कदम कदम पर ऐतिहासिक इमारत, स्मारक हैं, जिनके पीछे कई कहानियां हैं। ओरल हिस्ट्री प्रोजेक्ट इन कहानियों को ना केवल लोगों के सम्मुख लाने का प्रयास है, बल्कि वक्त के साथ कैसे दिल्ली कदमताल मिलाकर चली, यह जानना भी दिलचस्प होगा।
प्रोजेक्ट के तहत ऑडियो-वीडियो फार्मेट में शख्सियतों के इंटरव्यू लिए जाएंगे और इन्हें अभिलेखागार विभाग सुरक्षित रखेगा। ये इंटरव्यू ना केवल शोधार्थियों, बल्कि आम लोगों के लिए भी उपलब्ध होंगे। दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर एक अलग से सेक्शन दिया जाएगा, जहां क्लिक कर कोई भी इन इंटरव्यू को सुन सकेगा।
किससे होगी बात
सूत्रों ने बताया कि इंटरव्यू के लिए 100 लोगों की एक लिस्ट बनाई जा रही है। इनमें सरकारी अधिकारी, लेखक, इतिहासकार, वैज्ञानिक, शिक्षाविद्, तकनीकी विशेषज्ञ समेत विभिन्न क्षेत्रों के महारथी हैं। इन लोगों ने ना केवल अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट काम किया, बल्कि दिल्ली का नाम भी रोशन किया है।
लिस्ट बनाते समय ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्होंने दिल्ली में रहकर काम किया है। उनके मुख से दिल्ली के बदलावों को सुनना सभी के लिए एक दिलचस्प अनुभव होगा। सूत्रों की मानें तो विभाग ने एक प्रोजेक्ट तैयार कर दिल्ली सरकार को भेजा है। अनुमति मिलते ही इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा।
यहां पर बता दें कि मुगल सम्राट शाहजहां ने ही पुरानी दिल्ली की स्थापना की और फिर मुगल वंश के खात्मे तक यह मुगलों की राजधानी बना रहा। अंग्रेजी शासन में बदलाव हुआ फिर राजधानी कोलकाता (पूर्व में कलकत्ता) हो गई। अंग्रेजी शासन में दो राजधानी बनीं एक शिमला (हिमाचल प्रदेश) तो दूसरी कोलकाता (पश्चिम बंगाल)।
जहां तक दिल्ली की बात है कि यहां पर प्राचीन काल के दौरान शहर आवास अति सुंदर डिजाइन मस्जिदों, सुंदर उद्यान है और सदस्यों की शानदार मकान और रॉयल कोर्ट के रईसों के लिए जाना जाता था।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुगल शासकों ने 700 साल से अधिक शासन के दौरान कई महलों, मकबरों और किलों दिल्ली में निर्माण किया। वॉल सिटी 1638 को चांदनी चौक और लाल किला सहित 1649 के बीच में, शाहजहां द्वारा बनाया गया था। दिल्ली के मूल छावनी दरयागंज जो बाद में रिज क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया था।