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जानिए, देश का 69वां गणतंत्र दिवस इस बार क्‍यों होगा सबसे खास

आसियान देशों के 10 राष्ट्रध्यक्ष एक साथ राजपथ पर भारतीय संस्कृति की समृद्ध परम्परा और विकास की झलक देखेंगे।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 23 Jan 2018 11:50 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jan 2018 03:10 PM (IST)
जानिए, देश का 69वां गणतंत्र दिवस इस बार क्‍यों होगा सबसे खास
जानिए, देश का 69वां गणतंत्र दिवस इस बार क्‍यों होगा सबसे खास

नई दिल्ली [ संजीव गुप्ता ] । 69 वें गणतंत्र दिवस पर राजपथ की परेड बहुत मायनों में खास होगी। देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि आसियान देशों के 10 राष्ट्रध्यक्ष एक साथ राजपथ पर भारतीय संस्कृति की समृद्ध परम्परा और विकास की झलक देखेंगे।

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पहली बार आसियान देशों के कलाकार एक साथ मिलकर महाकाव्य 'रामायण' का मंचन करेंगे। इतना ही नहीं, राजपथ पर साबरमती आश्रम के सौ वर्ष की कहानी बयां करती झांकी भी देश-दुनिया के दर्शकों को आकर्षित करेगी।

आसियान देशों की झांकी में सीता स्वयंवर, राम वनवास, अशोक वाटिका, समुद्र पर सेतु का निर्माण, राम-रावण युद्ध, श्रीराम के बाणों की टंकार और हनुमान द्वारा आकाश मार्ग से संजीवनी बूटी लाने के प्रसंग जहां चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित होंगे। वहीं इन राम, लक्ष्मण, सीता, रावण, हनुमान, जटायु इत्यादि विभिन्न पात्र लीला भी मंचित करते नजर आएंगे।

देश की पहली नाटयशला

कालीदास ने मेघदूतम में राजा द्वारा निष्कासित एक यक्ष ने अपनी प्रेयसी को मेघों के जरिए संदेश भेजने का कलात्मक वर्णन किया है। कालीदास ने इस काव्य की रचना जिस जगह बैठ कर की थी उसकी प्रतिकृति पहली बार छत्तीसगढ की झांकी में देखने को मिलेगी। इसकी ऐतिहासिकता इस मायने में बड़ी है कि यह दुनिया की पहली नाटयशाला है, जो आज भी मौजूद है। यह नाटय़शाला छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर से 280 किमी.  की दूरी पर स्थित है। इसका इतिहास रामायण से भी जुड़ा हुआ है।

साबरमती और गांधी के 100 वर्ष

गुजरात की झांकी में साबरमती आश्रम के सौ वर्ष पूरे होने की कहानी को दर्शाया गया है। यहीं से महात्मा गांधी ने खादी को बढ़ावा देने के लिए चरखा से खादी कातना शुरू किया था। इस झांकी के मध्य भाग पर महात्मा गांधी की विशाल प्रतिमा बनाई गई है। मध्य भाग में स्वच्छता, खुशहाली और मरीजों के उपचार की झलक देखने को मिलती है।

झलक गुजरे जमाने के रेडियो की

आकाशबाणी की झांकी में भारत में रेडियों की शुरूआत से लेकर अब तक की स्थिति को दर्शया गया है। इस समय आकाशबाणी से 23 भाषाओं 179 बोलियों में देश के भीतर तथा 12 भारतीय व 15 विदेशी भाषाओं में देश के बाहर अपने 467 केन्द्रों के माध्यम से समाचार से लेकर भारतीय गीत संगीत के कार्यक्रम प्रसारित कर रहा है।

कर चुकाओ, फायदा पाओ

पिछले साल नोटबंदी के बाद पैदा हुए हालत और टैक्स चोरी करने वालों की बढी परेशानी को आयकर विभाग की झांकी में दर्शाया गया है। इस झांकी में दिखाया गया है कि कर चोरी करने वालों की किस तरह की परेशानी होती है और जब वह कर चुका देते हैं तो उन्हें उनके ही पैसे से किस तरह का फायदा मिलता है। साथ ही यह सब कुछ अब घर बैठे ई-फाइलिंग के माध्यम से भी किया जा सकता है।

दंगल गीत पर दिखेंगे करतब

युवा और खेल मंत्रालय अपनी झांकी में 'खेलो इंडियाÓ थीम के साथ राजपथ पर पहुंचेगा। इस झांकी में भारतीय खेल और उसमें अपनी पहचान बनाने वाले खिलाडिय़ों के करतब को शामिल किया गया है। सभी करतब लोकप्रिय फिल्म दंगल के शीर्षक गीत पर नजर आएंगे।

यहां मिलेगा ग्रामीण पर्यटन का नजारा 

उत्तरराखंड ने ग्रामीण पर्यटन को बढावा देने के लिए अपनी झांकी का थीम ही 'ग्रामीण पर्यटनÓ रखा है। इस झांकी में देव भूमि के नाम से विख्यात उत्तराखंड की प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृति से दुनिया को परिचित करना का प्रयास किया गया है। यहां गांवों में पर्यटकों को ठहराने के लिए होम स्टे योजना चलाई जा रही है।

मिश्रित खेती, खुशियों की खेती

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने 'मिश्रित खेती, खुशियों की खेतीÓ शीर्षक से झांकी तैयार की है। इसमें दर्शाया गया है कि अनाजों की पैदावर किस तरह से अधिक की जाए और एक ही समय में कई तरह की फसलों को कैसे पैदा किया जा सके। इस तरह एक ही समय में किसान दो और दो से अधिक फसल पैदा कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते है।  

 एक छत के नीचे बिना भेदभाव भोजन

पंजाब की झांकी में सिखों के पहले गुरु नानक देव द्वारा शुरू की गई सामुदायिक सेवा संगत, पंगत यानि लंगर का नजारा होगा। इसमें दिखाया जाएगा कि किस तरह बिना किसी भी स्तर के भेदभाव एक ही छत के नीचे सभी लंगर खाते हैं। इस लंगर को तैयार करने में सेवा भाव भी अहम होता है।


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