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राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों पर छाया विवादों का साया

मिल होने एवं प्रधानमंत्री के हाथों पुरस्कृत होने पर बना असमंजस फोटो नं. 301, 302 राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली बहादुर बच्चों को 61 साल से प्रतिवर्ष दिए जा रहे राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भी विवादों के साये में घिर गए हैं। बावजूद इसके यह पुरस्कार दिए इस बार भी जाएंगे। वर्ष 201

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 07:05 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 07:05 PM (IST)
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों पर छाया विवादों का साया
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों पर छाया विवादों का साया

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : बहादुर बच्चों को 61 वर्षो से प्रति वर्ष दिए जा रहे राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पर विवादों का साया पड़ गया है। आयोजक भारतीय बाल कल्याण परिषद पर वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लगने के बाद इस बार इन बच्चों के गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने और प्रधानमंत्री के हाथों पुरस्कृत होने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि, यह तय है कि इस बार भी ये पुरस्कार दिए जाएंगे। वर्ष 2018 के पुरस्कार के लिए 21 बच्चों का चयन भी कर लिया गया है। इनमें 8 लड़कियां और 13 लड़के हैं। वहीं, एक को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया जाएगा।

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भारतीय बाल कल्याण परिषद की अध्यक्ष गीता सिद्धार्थ ने शुक्रवार को परिषद कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में इस बार पुरस्कृत होने वाले बहादुर बच्चों को मीडिया से रूबरू कराया। उन्होंने बताया कि प्रतिष्ठित भारत अवॉर्ड इस बार दो बच्चों जम्मू की नौ वर्षीया कुमारी गुरुगु हिमा प्रिया और 14 वर्षीय मास्टर सौम्यादीप जना को दिया जाएगा। दोनों ने ही हथियारबंद आतंकवादियों से लोहा लिया था। वहीं प्रतिष्ठित गीता चोपड़ा अवॉर्ड दिल्ली की 15 वर्षीय नितीशा नेगी को मरणोपरांत दिया जाएगा। नितीशा ने सहेली को आस्ट्रेलिया के एडियाड बीच पर समुद्र में डूबने से बचाया था। प्रतिष्ठित संजय चोपड़ा अवॉर्ड इस साल गुजरात के सात वर्षीय गोहिल जयराज ¨सह अजीत ¨सह को दिया जा रहा है। उसने दोस्त को तेंदुए के हमले से बचाया था। प्रतिष्ठित बापू गयाधनी अवॉर्ड इस बार तीन बच्चों को दिया जाएगा। इनमें गलत नीयत से खुद को अगवा करने का प्रयास कर रहे बाइक सवार बदमाश को शिकस्त देने वाली राजस्थान की नौ वर्षीया अनिका जैमिनी, भीषण आग की लपटों में घिरे मानसिक रूप से विक्षिप्त भाई की जान बचाने वाली मेघालय निवासी 13 वर्षीया कैमिलिया केथी खरबानार और मगरमच्छ के चंगुल से अंकल की जान बचाने वाले ओड़िशा के 15 वर्षीय सीतू मलिक शामिल हैं। इसके अलावा कुएं में गिरी छोटी बहन की जान बचाने वाली ओड़िशा निवासी नौ वर्षीया झीली बाग, गहरे वाटर चैनल में डूब रहे छोटे बच्चे की जान बचाने वाले कर्नाटक निवासी 15 वर्षीय सीडी कृष्णा नायक, छात्राओं के साथ छेड़खानी करने वाले मनचले की धुनाई करने वाली हिमाचल प्रदेश निवासी 17 वर्षीया मुस्कान और 15 वर्षीया सीमा, नदी में डूब रहे मित्र की जान बचाने वाले छत्तीसगढ़ निवासी 13 साल के रितिक साहू और 12 साल के झगेंद्र साहू, छोटी बहन को गुस्साए बैल के हमले से बचाने वाले 13 वर्षीय कुंवर दिव्यांश ¨सह, तालाब में डूबते ढाई साल के बच्चे की जान बचाने वाले मणिपुर निवासी 14 वर्षीय वाहेंगबम लमगांवा ¨सह, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति के खिलाफ आवाज उठाने वाली ओड़िशा निवासी 13 वर्षीय रंजीता माझी, दिवाली पर बच्ची को पटाखा बम से बचाने वाले उत्तम नगर दिल्ली निवासी 14 साल के मंदीप कुमार पाठक, पांच साल की बच्ची को नहर में डूबने से बचाने वाले ओड़िशा निवासी 11 वर्षीय विश्वजीत पुहान, तालाब में डूब रहे बच्चे की जान बचाने वाले छत्तीसगढ़ के 10 वर्षीय श्रीकांत गंजीर, नदी में डूबते दो बच्चों की जान बचाने वाले केरल के 14 वर्षीय शिगिल के. और नदी में डूबते मित्र की जान बचाने वाले केरल निवासी 10 वर्षीय अश्विन सजीव के नाम शामिल हैं।

गीता सिद्धार्थ ने बताया कि इन सभी बहादुर बच्चों को परिषद द्वारा नकद राशि, प्रशस्ति पत्र और मेडल प्रदान किया जाएगा। सभी की पूरी शिक्षादीक्षा का खर्च भी परिषद वहन करेगी। नकद राशि के तहत भारत अवॉर्ड में 50 हजार रुपये, गीता और संजय चोपड़ा अवॉर्ड में 40-40 हजार रुपये, बापू गयाधनी अवॉर्ड में 24 हजार रुपये जबकि अन्य पुरस्कारों में 20 -20 हजार रुपये प्रदान किए जाएंगे।

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यह है विवाद

गैर सरकारी संस्था भारतीय बाल कल्याण परिषद ही 61 वर्षो से इस पुरस्कार समारोह का आयोजन करती आ रही है। परिषद के दो सदस्यों ने इस पर वित्तीय गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। यह मामला हाई कोर्ट में चल रहा है। ऐसे में इस बार केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने इस आयोजन से हाथ पीछे खींच लिए हैं। इस कारण अब तक इन बच्चों को गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने का निमंत्रण नहीं मिला है।

------------- वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप निराधार हैं। परिषद ने जिन दो सदस्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी, वही बदले की भावना से प्रेरित होकर अदालत चले गए। जहां तक बच्चों के गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने व सम्मानित होने की बात है तो हर साल करीब दस दिन पहले ही रक्षा मंत्रालय से इस संबंध में जानकारी आ जाती थी, लेकिन इस बार कुछ नहीं बताया गया है। हमने करीब तीन सप्ताह पहले प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखा था, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला है। ऐसे में यह तय नहीं हो सका है कि बच्चों को कौन और कहां पुरस्कृत करेगा।

- गीता सिद्धार्थ, अध्यक्ष, भारतीय बाल कल्याण परिषद


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