दक्षिणी दिल्ली को मिलेगी बंदरों के आतंक से निजात
बंदरों के आतंक से परेशान दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के इलाके में रहने वाले लोगों के लिए राहत की खबर है। लंबे इंतजार के बाद निगम को बंदर पकड़ने के लिए उत्तर प्रदेश से आठ लोग मिल गए हैं। अब निगम इन लोगों के सहयोग से लोगों को बंदरों के आतंक से निजात दिलाएगा।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : बंदरों के आतंक से परेशान दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के इलाके में रहने वाले लोगों के लिए राहत की खबर है। लंबे इंतजार के बाद निगम को बंदर पकड़ने के लिए उत्तर प्रदेश से आठ लोग मिल गए हैं। अब निगम इन लोगों के सहयोग से लोगों को बंदरों के आतंक से निजात दिलाएगा।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम कई वर्षो से हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल राजस्थान और तमिलनाडु में विज्ञापन जारी कर बंदर पकड़ने वाले लोगों की तलाश कर रहा था। इसके बाद भी निगम को सफलता नहीं मिल पा रही थी। सितंबर में जारी विज्ञापन के बाद निगम ने उत्तर प्रदेश की दो एजेंसियों को बंदर पकड़ने के लिए अनुबंध पर रख लिया है। अभी छह और आवेदनों पर कार्य किया जा रहा है, जिन्हें जल्द ही कार्य पर रखा जाएगा।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पशुपालन विभाग के निदेशक आरबीएस त्यागी के अनुसार, अब बंदरों को नियमानुसार पकड़कर उन्हे भाटी माइंस स्थित जंगलों में छोड़ा जाएगा। सभी को भुगतान तभी किया जाएगा, जब वह बंदरों को भाटी माइंस के जंगलों में छोड़ने की रसीद निगम को देंगे।
गौरतलब है कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम 2013-14 में एक हजार बंदरों को पकड़ा था, 2014-15 में 1283, 2015-16 में 302, 2016-17 में 461 और वर्ष 2017-18 में 189 बंदरों को पकड़ा था। पिछले साल करीब एक हजार लोगों को बंदरों ने काट लिया था। पानी की टंकी और घर से फोन तक उठा ले जाते हैं बंदर
रिहायशी इलाकों में लोग बंदरों के आतंक से परेशान हैं। बंदर पकड़ने वाले न होने के कारण शिकायत मिलने के बावजूद निगम इस दिशा में कार्रवाई नहीं कर पाता था। अब बंदर पकड़ने के लिए संस्थाएं मिलने के बाद निगम नागरिकों की शिकायतों पर कार्रवाई कर पाएगा। कई इलाकों में बंदरों द्वारा पानी की टंकी खराब करने से लेकर कपड़े और घर के अंदर से मोबाइल तक ले जाने की घटनाएं हो चुकी हैं। बंदर कौन पकड़ेगा, इस पर भी हो चुका है विवाद
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को जब बंदर पकड़ने वाले नहीं मिल रहे थे तो निगम ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे। उसने कोर्ट में इसको लेकर हलफनामा तक दे दिया था। बंदर एक वन्य जीव प्राणी है, इसलिए उसे पकड़ने का कार्य निगम का नहीं है। निगम ने इसके लिए दिल्ली सरकार के वन विभाग को जिम्मेदार बताया था।