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उपद्रवियों का उत्पात नहीं हो रहा कम, रेल रोको अभियान बन सकता है सिरदर्द

13 यूटीएम 23 भगवान झा पश्चिमी दिल्ली कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के बार्डर पर बैठे

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2021 08:22 PM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2021 08:22 PM (IST)
उपद्रवियों का उत्पात नहीं हो रहा कम, रेल रोको अभियान बन सकता है सिरदर्द
उपद्रवियों का उत्पात नहीं हो रहा कम, रेल रोको अभियान बन सकता है सिरदर्द

13 यूटीएम 2,3

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भगवान झा, पश्चिमी दिल्ली :

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के बार्डर पर बैठे प्रदर्शनकारियों के बीच उपद्रवियों की मौजूदगी पुलिस के लिए लगातार चुनौती खड़ी कर रही है। ये उपद्रवी विभिन्न घटनाओं में सैकड़ों पुलिसकर्मियों को अभी तक घायल कर चुके हैं, वहीं आम लोगों पर भी पत्थरबाजी की घटना को उपद्रवियों ने अंजाम दिया है। इसमें अब कोई दोराय नहीं है कि इन संगठनों का नियंत्रण उपद्रवियों पर बिल्कुल नहीं है। ऐसे में 18 फरवरी को संगठनों की ओर से प्रस्तावित रेल रोको अभियान को लेकर भी चिंता जाहिर की जा रही है, क्योंकि 26 जनवरी की घटना से पहले भी किसान संगठनों की ओर से कहा गया था कि शांतिपूर्ण ट्रैक्टर परेड निकालेंगे और पुलिस द्वारा तय किए गए रूट से ही जाएंगे, लेकिन हुआ ठीक इसके उलट। एक ओर लाल किला पर तिरंगा झंडा का अपमान किया गया, वहीं पुलिसकर्मियों की पिटाई की गई। इसके अलावा आइटीओ पर भी घंटों उत्पात मचाया था। साथ ही, नांगलोई इलाके में करीब तीन घंटे तक उपद्रवियों ने बवाल काटा था। पचास से ज्यादा पुलिसकर्मी यहां घायल हुए थे। आंसू गैस के गोले चलाने के बाद भी उपद्रवी काबू में नहीं आए। दर्जनों बसों में तोड़फोड़ की गई। इस घटना के चौथे दिन यानि 29 जनवरी को दोबारा सिघु बार्डर पर उपद्रवियों ने उत्पात मचाया। तलवार से पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया था। विरोध प्रदर्शन से परेशान स्थानीय लोग जब प्रदर्शनकारियोंका विरोध करने पहुंचे तो उनपर पत्थरबाजी की गई। इसमें भी कई लोग घायल हुए। ताजा घटना शुक्रवार की है। टीकरी बार्डर पर एक पुलिसकर्मी प्रदर्शन स्थल पर 26 जनवरी की घटना में अभी तक फरार चल रहे आरोपितों के पोस्टर चस्पा करने के लिए पहुंचा तो उपद्रवियों ने उसे जमकर पीटा। क्या उस दौरान किसान संगठन के नेता वहां मौजूद नहीं थे? सवाल यह है कि इतनी कड़ी-सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी इन घटनाओं को अंजाम देने से बाज नहीं आ रहे हैं तो 18 फरवरी को प्रस्तावित रेल रोको अभियान शांतिपूर्ण रहेगा इसकी गारंटी कौन ले सकता है। प्रदर्शन में शामिल लोग भी इन घटनाओं पर गहरी चिता व्यक्त करते हैं और उनका कहना है कि किसान संगठनों का नियंत्रण इन उपद्रवियों पर बिल्कुल नहीं है। ऐसे में आगे जो भी रणनीति बने उसमें यह जरूर ध्यान रखा जाए कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे।


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