गृहमंत्री v/s केंद्रीय मंत्रीः संतानों की सक्रियता से गरमाई गाजियाबाद की सियासत
राजनाथ सिंह के बेटों की सक्रियता को देखते हुए अब जनरल वीके सिंह की बेटी को भी गाजियाबाद में सक्रिय करने की तैयारी चल रही है।
गाजियाबाद (राज कौशिक)। सांसद को सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जिता कर लोकसभा पहुंचाने का रिकार्ड अपने नाम करने वाले गाजियाबाद संसदीय क्षेत्र की भाजपा राजनाथ सिंह बनाम वीके सिंह के बीच बंटी नजर आ रही है।
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भाजपा के कुछ लोग केंद्रीय गृह मंत्री व गाजियाबाद के पूर्व सांसद राजनाथ सिंह को साधने में लगे हैं तो कुछ भाजपाई केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री व मौजूद सांसद वीके सिंह को। कुछ ऐसे भी हैं जो दोनों जगह हाथ-पांव मार रहे हैं।
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राजनाथ सिंह के बेटों की सक्रियता को देखते हुए अब जनरल वीके सिंह की बेटी को भी गाजियाबाद में सक्रिय करने की तैयारी चल रही है। गाजियाबाद से लखनऊ चले जाने के बाद राजनाथ सिंह के पुत्र नीरज सिंह व पंकज सिंह की यहां सक्रियता चर्चाओं में है।
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यह चर्चा हमेशा चलती रहती है कि या तो नीरज सिंह विधानसभा की किसी सीट से चुनाव लड़ेंगे या फिर राजनाथ सिंह ही अगले लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद लौटेंगे। इस वजह से गाजियाबाद की भाजपा के अधिकांश लोग राजनाथ सिंह से अच्छे रिश्ते बनाए रखना चाहते हैं।
दूसरी तरफ, विदेश राज्यमंत्री होने के कारण वीके सिंह के विदेशी दौरे ज्यादा रहते हैं और वो उतना समय गाजियाबाद में नहीं दे पाते, जितने समय की अपेक्षा भाजपा व गाजियाबाद के लोग उनसे रखते हैं।
इसके बावजूद स्थानीय सांसद होने के नाते विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे में उनकी राय ली जाएगी, ऐसा मानने वाले कई लोग उनसे संपर्क बनाए रखने की कोशिश में लगे रहते हैं।
केंद्र सरकार के दो दिग्गजों के बीच भाजपाइयों के बंट जाने का नतीजा ये हो रहा है कि संगठन का जो सहज रुतबा होता है, वो गाजियाबाद में नजर नहीं आ रहा।
आरओबी का श्रेय लेने की कोशिश
विजय नगर धोबीघाट आरओबी को लेकर हाल ही में खूब राजनीति सामने आई। इसके निर्माण को हरी झंडी मिल जाने की पहली घोषणा करीब एक साल पहले जनरल वीके सिंह ने की थी, मगर पिछले दिनों राजनाथ सिंह के छोटे पुत्र नीरज सिंह ने रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा से मुलाकात कर यह मुद्दा उठाया और मीडिया में शिलान्यास की तारीख की घोषणा कर दी गई।
खास बात यह रही कि घोषित तारीख को वीके सिंह का पहले से विदेश दौरा लगा हुआ है। वीके सिंह के समर्थक भाजपाइयों को यह नागवार गुजरा। नतीजा यह रहा कि घोषित तिथि को शिलान्यास का कार्यक्रम रद हो गया। उधर, राजनाथ सिंह के समर्थकों का कहना है कि आरओबी का प्रयास पिछली सरकार के दौरान सबसे पहले राजनाथ सिंह ने ही किया था।