Move to Jagran APP

अब निगम को कर संग्रह का मिलेगा 12.5 फीसद हिस्सा

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों को मंजूर कर लिया

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 10:50 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 10:50 PM (IST)
अब निगम को कर संग्रह का मिलेगा 12.5 फीसद हिस्सा
अब निगम को कर संग्रह का मिलेगा 12.5 फीसद हिस्सा

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों को मंजूर कर लिया है। विधानसभा में चौथे व पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों को रखा गया। सरकार ने चौथे वित्त आयोग की सिफारिशों को नामंजूर करते हुए पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दी। एक अप्रैल 2016 से सिफारिशें लागू मानी जाएंगी।

loksabha election banner

दिल्ली में वित्त आयोग के हिसाब से निगम को कुल कर संग्रह का का 10.5 फीसद हिस्सा मिलता था। पांचवें वित्त आयोग में इसे 12.5 फीसद कर दिया गया है। इस आयोग की सिफारिशें वर्ष 2021 तक लागू रहेंगी। निगमों को वर्ष 2018-19 में 5409 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार से मिलने की उम्मीद है।

---------------------------

निगम के बड़े अस्पतालों को सरकार को सौंपने की सिफारिश

पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों में संशोधन करते हुए निगम के बड़े अस्पतालों को दिल्ली सरकार को सौंपने की सिफारिश की गई है। इसमें कहा गया है कि निगम अपने बड़े अस्पतालों को दिल्ली सरकार को सौंपे। खराब आर्थिक हालात से जूझ रहे निगमों को स्वास्थ्य पर बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ता है। इसमें सर्वाधिक खर्च उत्तरी दिल्ली नगर निगम को करना पड़ता है, क्योंकि उसके पास पांच बड़े अस्पताल हैं। इसमें ¨हदू राव अस्पताल, महर्षि वाल्मीकि अस्पताल, राजन बाबू टीबी, कस्तूरबा गांधी और बालकराम अस्पताल शामिल हैं। इसी वजह से तत्कालीन निगमायुक्त मधुप व्यास फरवरी 2018 में स्थायी समिति में प्रस्ताव लेकर आए थे, जिसे स्थायी समिति ने नामंजूर कर दिया था। प्रस्ताव में आयुक्त ने कहा था कि आर्थिक संकट से जूझ रहे नगर निगम के बजट का 60 फीसद हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च हो रहा है। निगम के अस्पतालों में करीब पांच हजार डॉक्टर व कर्मचारी हैं। निगमकर्मियों की तनख्वाह पर आने वाला खर्च सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद बढ़कर 85 फीसद तक पहुंच गया है।

----------------------

कर बढ़ाने का फैसला स्वयं करें निगम

दिल्ली सरकार द्वारा स्वीकृत पांचवें दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों में विभिन्न तरह के कर लगाने की बात है। सरकार ने इसमें कोई फैसला नहीं लिया है। उसने निगमों को कर बढ़ाने और लगाने का निर्णय स्वयं लेने की बात कही है। वित्त आयोग की रिपोर्ट में ठोस अपशिष्ट सहित स्वच्छता प्रबंधन में अल्पव्ययता बरतने की बात कही है। यह भी कहा है कि उपयोगकर्ता शुल्क (यूजर चार्ज) के जरिये उचित लागत प्राप्त करनी चाहिए। शुरुआत में यह राशि स्वच्छता पर खर्च का 10-15 फीसद तक हो सकती है, लेकिन यह जल्द ही 25 फीसद तक पहुंचनी चाहिए। सिफारिशों में प्रोफेशनल टैक्स और शिक्षा उपकर के साथ स्ट्रीट टैक्स लगाने की भी बात कई गई है। प्रोफेशनल टैक्स प्रति माह वेतन के 1.5 फीसद की दर से लागू करने करने की सिफारिश है। एक वर्ष में अधिकतम 2500 रुपये लेने की बात कही गई है। इसका भी निर्णय दिल्ली सरकार ने स्थानीय निकायों पर छोड़ दिया है। पाचवें वित्त आयोग के हिसाब से निगमों को कितना मिलेगा पैसा

वित्तीय वर्ष- कर संग्रह- निगमों का हिस्सा

2016-17-- 31140-3892.5

2017-18--38700-4837.5

2018-19--43276-5409.5

2019-20--48763-6095.37

2020-21--54984-6873

(राशि करोड़ रुपये में)

-------------------------

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से निगमों को चौथे वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप फंड जारी करने को कहा था, जोकि अभी तक नहीं मिला है। चौथे वित्त आयोग की सिफारिशों को खारिज कर दिल्ली सरकार ने निगमों के साथ अन्याय किया है। दिल्ली सरकार निगमों को पंगु बनाना चाहती है।

- आदेश गुप्ता, महापौर, उत्तरी दिल्ली नगर निगम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.