भलस्वा लैंडफिल साइट पर सात ट्रॉमेल मशीनें और बढ़ेंगी
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के भलस्वा लैंडफिल साइट कूड़े के पहाड़ को समाप्त करने के कार्य में तेजी लायी जाएगी। इसके लिए यहां एक माह के अंदर सात और ट्रॉमेल मशीनें लगाई जाएगी।
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : उत्तरी दिल्ली नगर निगम के भलस्वा लैंडफिल साइट कूड़े के पहाड़ को समाप्त करने के कार्य में तेजी लायी जाएगी। इसके लिए यहां एक माह के अंदर सात और ट्रॉमेल मशीनें लगाई जाएगी। फिलहाल यहां 19 ट्रॉमेल मशीनें लगी हैं। जिनमें 15 मशीनें काम कर रही हैं। लैंडफिल साइट से दो साल के अंदर कूडे के निस्तारण का लक्ष्य तय किया गया है। ऐसे में वर्ष 2019 के अक्टूबर से ही कूड़ों को अलग अलग करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। कूड़ों को ट्रॉमेल मशीनों के जरिये अलग अलग किया जा रहा है।
जिस समय योजना का शुभारंभ किया गया था, उस समय करीब साइट 70 एकड़ में फैली भलस्वा लैंडफिल साइट की ऊंचाई कुतुब मीनार (73 मीटर) से भी अधिक हो गई थी। साइट पर 80 लाख मीट्रिक टन से अधिक कूड़ा था। योजना पर फिलहाल 93 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
टॉमेल मशीनों के माध्यम से कूड़े में मौजूद मिट्टी, प्लास्टिक कचरे व ठोस पदार्थ जैसे पत्थर आदि को अलग किया जा रहा है। एक मशीन के जरिये प्रतिदिन तीन सौ टन कूड़े का निस्तारण हो रहा है। चूंकि पहाड़ की ऊंचाई अधिक है और निर्धारित लक्ष्य तक काम को पूरा करने के लिए मशीनों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
योजना का मकसद
लैंडफिल के कारण आसपास की कालोनियों में रहने वाली बड़ी आबादी के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। लैंडफिल साइट के अंदर खतरनाक केमिकल के रिसाव से भूजल दूषित हो रहा है तो बारिश होने पर कूड़े के पहाड़ से नीचे गिरने वाला दूषित पानी लोगों के घरों में प्रवेश कर जाता है। जिसके चलते लोग त्वचा कैंसर, पेट, नेत्र रोग आदि के शिकार हो रहे हैं। कूड़े के पहाड़ में अक्सर आग लग जाने से हवा में उठने वाला धुंआ पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे में पर्यावरण सुरक्षा के साथ लोगों के स्वास्थ्य के लिहाज से कूड़े के पहाड़ को हटाने की योजना बनाई गई है।
उत्तरी नगर निगम योजना को अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है। यही कारण है कि यहां एक माह के अंदर सात और मशीनें लगाई लगाकर कार्य में और तेजी लाई जाएगी।
जय प्रकाश, महापौर, उत्तरी दिल्ली निगम
फिलवक्त यहां लगी 19 मशीनें लगी हैं। इनमें बिजली नहीं मिल पाने के कारण चार मशीनों का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। लेकिन चार पांच दिनों में चारों मशीनें काम करने लगेगी।
नई मशीनें लगाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई।
विजय भगत, क्षेत्रीय पार्षद