राष्ट्रीय नहीं, कैंपस के मुद्दों को प्राथमिकता दे रहे विद्यार्थी
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रसंघ चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों पर विभिन्न छात्र संगठनों के बीच तीखी नोकझोंक होती है। सभी छात्र संगठन राजनीतिक हमला बोलते हुए वोट बटोरने की कोशिश करते हैं। इससे विश्वविद्यालय से जुड़े मुद्दे दब जाते हैं, लेकिन अब विद्यार्थी भी कैंपस की मूल सुविधाओं की बेहतरी के लिए वोट देने लगे हैं। विद्यार्थियों का मानना है कि जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में विचारधाराओं की लड़ाई के कारण विश्वविद्यालय के मुद्दे दब जाते हैं। अब विद्यार्थी राजनीतिक पहलू पर नहीं बल्कि उनके हित में छात्र नेताओं की ओर से क्या कदम उठाए जाएंगे, उस पर भी मतदान करने लगे हैं।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रसंघ चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों पर विभिन्न छात्र संगठनों के बीच तीखी नोकझोंक होती है। सभी छात्र संगठन राजनीतिक हमला बोलते हुए वोट बटोरने की कोशिश करते हैं। इससे विश्वविद्यालय से जुड़े मुद्दे दब जाते हैं, लेकिन अब विद्यार्थी भी कैंपस की मूल सुविधाओं की बेहतरी के लिए वोट देने लगे हैं। विद्यार्थियों का मानना है कि जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में विचारधाराओं की लड़ाई के कारण विश्वविद्यालय के मुद्दे दब जाते हैं। अब विद्यार्थी राजनीतिक पहलू पर नहीं बल्कि उनके हित में छात्र नेताओं की ओर से क्या कदम उठाए जाएंगे, उस पर भी मतदान करने लगे हैं।
सेटर फॉर मीडिया स्टडीज की छात्रा रुक्मणि ने कहा कि जेएनयू कैंपस में विद्यार्थियों को जो माहौल मिलता है, वह कहीं और नहीं मिलता। यहां पर देश से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत एवं डिबेट होती है, लेकिन नए छात्रावास बनाने, छात्राओं की सुरक्षा, कैंपस में छात्रवृत्ति, प्लेसमेट और फेलोशिप को बढ़ाने जैसे मुद्दों पर कम बातचीत होती है। जेएनयू में आरक्षित वर्ग की सीटों को घटाया गया है। इसको बहाल करने के लिए मतदान कर रहा हूं। कैंपस में पिछले कुछ समय में विद्यार्थियों की समस्याओं पर प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया।
- रणजीत, छात्र, पीएचडी, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज जेएनयू में अकसर विचारधारा को लेकर काफी विद्यार्थी मतदान करते हैं। कैंपस के अंदर देश के मुद्दे भी उठाए जाते रहे हैं, लेकिन मैंने विश्वविद्यालय में मूलभूत सुविधाओं की बेहतरी के लिए मतदान किया है।
- सत्यम, छात्र, बीए, स्कूल ऑफ लैंग्वेज विश्वविद्यालय में पिछले कुछ समय से पानी को लेकर काफी परेशानी हुई है। साथ ही पुस्कालय में पानी की सुविधा अच्छी नहीं है। मैं चाहती हूं कि जो भी उम्मीदवार छात्र संघ के पदाधिकारी बनें, वह इस ओर ध्यान दें।
- शुभी, छात्रा, एमए, स्कूल ऑफ लैंग्वेज
दिव्यांगों के लिए कोई भी छात्र नेता संवेदनशील नहीं है। कैंपस में एमफिल एवं पीएचडी की प्रवेश परीक्षाओं में दिव्यांगों के दाखिले को लेकर कमजोर नीतियां बनाई गई हैं। इन नीतियों को सुधारने के लिए मतदान कर रहा हूं।
- पीयूष, पीएचडी, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज छात्र संगठनों की ओर से किए गए वादों में दिव्यांग विद्यार्थियों का कोई जिक्र नहीं किया गया है। मैं संगठनों को ना देखते हुए अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के भाषण के आधार पर मतदान कर रहा हूं।
- कुरुक्षेत्र, पीएचडी, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज