जेएनयू छात्रा ने एशियाई पैरा खेल में लहराया परचम
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली परिश्रम व हौसले से हर मुश्किल हार जाती है। यह बात एक बार फिर
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : परिश्रम व हौसले से हर मुश्किल हार जाती है। यह बात एक बार फिर साबित हुई है। दिल्ली की 24 वर्षीय निधि मिश्रा ने एशियाई पैरा खेल में देश का परचम लहराया है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की इस दिव्याग छात्रा ने जकार्ता में चल रहे पैरा एशियाई खेल में कास्य पदक जीता है।
निधि जेएनयू के सेटर फॉर हिस्टॉरिकल स्टडीज, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज की पीएचडी की छात्रा हैं। वह दृष्टि बाधित हैं, लेकिन इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दीं। निधि के परिश्रम का ही फल है कि उन्होंने महिला डिस्कस थ्रो एफ11 स्पर्धा में कास्य पदक जीता है।
दिल्ली के गाजीपुर की रहने वाली निधि ने जेएनयू में दाखिला लेने से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से इतिहास में स्नातक की पढ़ाई की थी। किसान परिवार में जन्म लेने वाली निधि ने बताया कि एशियाई खेल तक का उनका सफर तमाम कठिनाइयों से भरा रहा है। परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी। लेकिन, परिवार ने हर तरह से अपना सहयोग दिया। अपनी कामयाबी के पीछे वह अपने परिवार का योगदान मानती हैं। उन्होंने अपनी जीत का श्रेय कोच, दोस्त नूपुर, शिक्षक और परिवार को दिया है।
निधि की राजनीति में भी रुचि है। इस साल जेएनयू छात्र संघ चुनाव में वह स्वतंत्र रूप से अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनी थीं। ओलंपिक में देश को दिलाना चाहती हैं पदक
निधि मिश्रा ने बताया कि 2010 से उन्होंने खेलना शुरू किया। अब तक राज्य विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 100 मीटर दौड़, डिस्कस थ्रो और शॉटपुट में कई पदक अपने नाम कर चुकी हैं। फरवरी 2018 में दिल्ली की पैरालंपिक समिति की ओर से आयोजित 10वीं दिल्ली स्टेट एथलीट, पावर लिफ्टिंग एवं टेबल टेनिस प्रतियोगिता में उन्होंने तीन स्वर्ण पदक जीते थे। निधि का अब पूरा ध्यान 2020 में टोक्यो में होने वाले ओलंपिक पर है। उन्होंने कहा कि मैं ओलंपिक में भारत को पदक दिलाना चाहती हूं। इसके लिए कड़ी मेहनत करूंगी।