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जामा मस्जिद को अडाप्ट ए परियोजना से जोड़ने की गुहार

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली ऐतिहासिक स्मारकों को रखरखाव के लिए निजी कंपनियों को गोद देने प

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Apr 2018 10:01 PM (IST)Updated: Sun, 29 Apr 2018 10:01 PM (IST)
जामा मस्जिद को अडाप्ट ए परियोजना से जोड़ने की गुहार
जामा मस्जिद को अडाप्ट ए परियोजना से जोड़ने की गुहार

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली

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ऐतिहासिक स्मारकों को रखरखाव के लिए निजी कंपनियों को गोद देने पर छिड़े विवाद के बीच जामा मस्जिद सलाहकार परिषद के महासचिव तारीक बुखारी ने केंद्र सरकार से ऐतिहासिक जामा मस्जिद को भी अडॉप्ट ए हेरिटेज परियोजना से जोड़ने का आग्रह किया है। 353 वर्ष पुरानी यह मस्जिद संरक्षण व रखरखाव के अभाव में बुरे दौर से गुजर रही है। मस्जिद के मुख्य गुंबद से पानी रिस रहा है तो छत और छज्जे जगह-जगह से टूटने लगे हैं। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस ऐतिहासिक इमारत को बचाने की गुहार लगा चुके हैं। हाल ही में केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने राज्यसभा में इसके संरक्षण का आश्वासन दिया था। इसके बाद से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा इसके संरक्षण का काम शुरू किया गया, लेकिन धन के अभाव में कार्य रुक गया है। मस्जिद से जुड़े लोगों के मुताबिक, केंद्र सरकार अगर निजी भागीदारी के तहत भी मस्जिद का संरक्षण कराती है तो उन्हें ऐतराज नहीं होगा। तारीक बुखारी ने कहा कि केंद्र के प्रयासों पर विवाद की कोई वजह नहीं है। अगर इससे ऐतिहासिक इमारतों की दशा सुधरती है और पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाई जाती हैं तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए हम सीधे तौर पर निजी कंपनियों से मदद नहीं लेना चाहेंगे। हम चाहते हैं कि जिम्मेदार संस्था एएसआइ इसके लिए आगे आए। बता दें कि अडॉप्ट ए हेरिटेज परियोजना के तहत डालमिया भारत ग्रुप ने 25 करोड़ रुपये में पांच साल के लिए दिल्ली के लाल किला को गोद लिया है। केंद्र सरकार ने पर्यटन मंत्रालय और एएसआइ की भागीदारी वाली कमेटी की मदद से मार्च में 31 स्मारक मित्र छांटे हैं, जो 95 ऐतिहासिक धरोहरों को पर्यटकों के लिहाज से सुविधाजनक बनाएंगे। हालांकि, इस परियोजना पर विपक्षी दलों ने ऐतराज जताया है। जामा मस्जिद

मुगल बादशाह शाहजहां ने सन 1656 में जामा मस्जिद का निर्माण कराया था। देश की सबसे बड़ी यह मस्जिद लाल और संगमरमर के पत्थरों से बनी हुई है। यह ऐतिहासिक लाल किले से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। मस्जिद का निर्माण 1650 में शुरू हुआ था। इसे बनने में 6 वर्ष का समय और 10 लाख रुपये लगे थे।


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