केंद्र बताए, जामा मस्जिद संरक्षित स्मारक क्यों नहीं : हाई कोर्ट
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सर
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से कहा कि आप बताएं कि दिल्ली की जामा मस्जिद को क्यों संरक्षित स्मारक नहीं घोषित किया जाना चाहिए।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की खंडपीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने वर्ष 2005 में भी संस्कृति मंत्रालय को इस बाबत सुबूत पेश करने के निर्देश दिए थे। मंत्रालय वह दस्तावेज दिखाए जिसमें जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित नहीं करने का निर्णय लिया है। मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी।
पुरातत्व विभाग ने वर्ष 2015 में दिल्ली हाई कोर्ट में कहा था कि वर्ष 2004 में मुगलों के जमाने में बनीं जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने का मुद्दा उठा था। उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जामा मस्जिद के शाही इमाम को आश्वासन दिया था कि मस्जिद को संरक्षित स्मारक का दर्जा नहीं दिया जाएगा। मौजूदा समय में मस्जिद संरक्षित स्थलों की श्रेणी में नहीं आती है। इसकारण इसके रखरखाव की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग की नहीं बनती है।
एक जनहित याचिका लगाकर मांग की गई है कि जामा मस्जिद पर एक परिवार का कब्जा नहीं हो सकता है। मुगलकालीन यह स्मारक दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। सैय्यद अहमद बुखारी को वक्फ बोर्ड ने शाही इमाम बनाया है। ऐसे में वह अपने बेटे को अगला शाही इमाम घोषित नहीं कर सकते हैं। याचिका में मस्जिद को संरक्षित स्मारक का दर्जा देते हुए इसके आसपास के क्षेत्र का अवैध निर्माण तुरंत हटाने की मांग की गई है।