कोरोना ने बदली दिल्ली-एनसीआर के उद्योगों की चाल
कोरोना संक्रमण ने उद्योग जगत की कमर ही नहीं तोड़ी चाल भी बदलकर रख दी है। आर्थिक मंदी की मार और जिदगी को दोबारा पटरी पर लाने की कशमकश में बहुत से उद्यमी तो अपना परंपरागत काम छोड़कर लाइन बदलने को भी मजबूर हो गए हैं। जो परंपरागत काम कर रहे है वे आर्डर न होने का रोना रो रहे हैं। दिल्ली के सभी 2
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली
कोरोना संक्रमण ने उद्योग जगत की कमर ही नहीं तोड़ी, चाल भी बदलकर रख दी है। आर्थिक मंदी की मार और जिदगी को दोबारा पटरी पर लाने की जद्दोजहद में बहुत से उद्यमी तो अपना परंपरागत काम छोड़कर लाइन बदलने को भी मजबूर हो गए हैं। जो परंपरागत काम कर रहे है, वे ऑर्डर न होने का रोना रो रहे हैं।
दिल्ली के सभी 28 अधिकृत क्षेत्रों में 70 से 80 फीसद औद्योगिक इकाइयां खुल गई हैं। सैनिटाइजेशन के बाद इनमें उत्पादन भी शुरू हो गया है। हालांकि सीमाओं पर आवाजाही पर अब भी प्रतिबंध होने के कारण चूंकि कच्चा माल मिलने में दिक्कत हो रही है और नए ऑर्डर भी ज्यादा नहीं हैं तो उत्पादन भी कम ही हो रहा है। यही वजह है कि बहुत से उद्यमियों ने फिलहाल कुछ समय के लिए अपना कारोबार भी बदल लिया है।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली में 10 से 15 फीसद उद्यमियों ने दाल, चावल, अन्य खाद्य पदार्थो के साथ-साथ मास्क, पीपीई किट और सैनिटाइजर बनाना शुरू कर दिया है। मसलन, फ्रेंड्स कॉलोनी औद्योगिक क्षेत्र में बिजली की तार बनाने वाले आलोक जैन अब कोरोना सेफ्टी के नाम से मास्क, पीपीई किट और सैनिटाइजर बना रहे हैं। कहते हैं, मंदी के इस दौर से बाहर निकलने के लिए फिलहाल यही सही लगा।
वहीं बवाना औद्योगिक क्षेत्र में पेस इंटरनेशनल के नाम से स्पोर्ट्स वियर बनाने वाले युवा उद्यमी नीरज सिघल कहते हैं कि उन्होंने अपनी लाइन तो नहीं बदली है। अलबत्ता फिलहाल वो अपने पुराने ऑर्डर पूरा करने में लगे हैं। नए ऑर्डर अभी नहीं आ रहे हैं।
अब अगर एनसीआर की बात करें तो गाजियाबाद जिला उद्योग केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना काल में रेडीमेड गारमेंट व बैग बनाने वाले करीब 25 उद्यमियों ने पीपीई किट व मास्क बनाना शुरू कर दिया है। सोनीपत में दाल, चावल मीलें, दवा, सैनिटाइजर सहित कुछ छोटी फैक्ट्रियां चल रही हैं। इसके अलावा ज्यादातर अभी बंद हैं।
गुरुग्राम में भी 10 फीसद ने ट्रेड बदला है। गारमेंट कंपनियों में से बहुतों ने मास्क व पीपीई किट बनाना शुरू कर दिया है। फरीदाबाद में करीब 5 फीसद ने अपने मूल ट्रेड में बदलाव किया है। यहां भी कुछ गारमेंट एक्सपोर्टर इन दिनों मास्क और कुछ पीपीई किट बनाने में लग गए हैं।
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ज्यादातर उद्योग-धंधे एक दूसरे राज्यों से जुड़े होते हैं। चाहे कच्चा माल हो और चाहे तैयार उत्पादन, सभी एक जगह से दूसरी जगह भेजे जाते हैं। लेकिन, फिलहाल फ्री मूवमेंट न होने से परेशानी हो रही है। फैक्टरी शुरू हो रही हैं, लेकिन पटरी पर आते आते समय लगेगा।
-नीरज सिघल, स्पोर्ट्स वियर उद्यमी, बवाना औद्योगिक क्षेत्र, दिल्ली
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जिले में औद्योगिक इकाइयों को सशर्त संचालन की अनुमति दी जा चुकी है। इकाइयों में नियमों व मानकों का पालन सही प्रकार से हो रहा है या नहीं, इसका नियमित निरीक्षण कराया जा रहा है। संचालकों द्वारा इकाइयों में श्रमिकों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए शिविर भी लगवाए जा रहे हैं, इकाई संचालकों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसका भी पूरा खयाल रखा जा रहा है।
-अजय शंकर पांडेय, जिलाधिकारी, गाजियाबाद