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एनएमसी बिल के खिलाफ देशभर में आइएमए की आज हड़ताल, हो सकती है मुश्किल

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में हड़ताल नहीं होगी। निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवा प्रभावित हो सकती है, लेकिन इमरजेंसी सेवा प्रभावित नहीं होगी।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 28 Jul 2018 07:40 AM (IST)Updated: Sat, 28 Jul 2018 08:34 AM (IST)
एनएमसी बिल के खिलाफ देशभर में आइएमए की आज हड़ताल, हो सकती है मुश्किल
एनएमसी बिल के खिलाफ देशभर में आइएमए की आज हड़ताल, हो सकती है मुश्किल

नई दिल्ली (जेएनएन)। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) बिल के खिलाफ डॉक्टर फिर लामबंद होने लगे हैं। इस क्रम में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने शनिवार को देशभर के सभी अस्पतालों व नर्सिंग होम में एकदिनी हड़ताल की घोषणा की है। हालांकि, दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में हड़ताल नहीं होगी।

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निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवा प्रभावित हो सकती है। इमरजेंसी सेवा प्रभावित नहीं होगी। सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों के संगठनों का कहना है कि हम एसोसिएशन के साथ हैं, मगर सरकारी अस्पतालों में इतने कम समय के नोटिस पर हड़ताल संभव नहीं है। इसलिए एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज व लोकनायक सहित सभी अस्पतालों में इलाज होगा।

एनएमसी बिल के विरोध पर आइएमए में उभरी दरार
राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएमसी) को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) में दरार पड़ गई है। एनएमसी के विरोध में शनिवार को हड़ताल के आइएमए के आह्वान को कई राज्यों के मेडिकल एसोसिएशन ने मानने से इन्कार कर दिया है। राज्यों के मेडिकल एसोसिएशन का कहना है सरकार ने एनएमसी विधेयक में उनकी सारी मांगों को कमोवेश स्वीकार कर लिया है। ऐसे में विरोध का कोई तुक नहीं है।

आइएमए के शनिवार को एक दिन के हड़ताल के आह्वान को मानने से इन्कार करते हुए दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने साफ कर दिया है कि उससे जुड़े डॉक्टर सामान्य तरीके से काम करते रहेंगे। डीएमए के प्रमुख डॉक्टर अश्विनी गोयल ने साफ कर दिया है कि हमने हड़ताल पर जाने का कोई फैसला नहीं लिया है। उनके अनुसार, एनएमसी विधेयक के पुराने मसौदे पर मेडिकल एसोसिएशन को कई आपत्तियां थीं, लेकिन सरकार ने उन सभी आपत्तियों को दूर कर दिया है।

सरकार ने उनकी मांग मान ली है कि दूसरी चिकित्सा पद्धति को एमबीबीएस कोर्स में नहीं शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने यह भी स्वीकार कर लिया है कि एमबीबीएस के लिए कोई अलग से एजिक्ट परीक्षा नहीं होगी, बल्कि मेडिकल कॉलेज के अंतिम वर्ष की फाइनल परीक्षा को ही एक्जिट परीक्षा के रूप में लिया जाएगा। यहां तक कि एनएमसी में राज्यों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की मांग भी सरकार ने मान ली है।

डॉक्टर गोयल ने कहा कि उस समय आइएमए ने इसे अपनी जीत बताते हुए कहा कि हमारी मांगें मान ली गई है। राजस्थान मेडिकल एसोसिएशन के डॉक्टर एसएस अग्रवाल ने भी कहा कि उनके यहां अभी तक हड़ताल पर जाने का कोई फैसला नहीं हुआ है। सरकार ने पिछले साल ही एमसीआइ को खत्म कर उसकी जगह एनएमसी लाने का विधेयक संसद में पेश किया था। इसे स्थाई समिति को भेज दिया गया। स्थाई समिति में सभी राजनीतिक दलों और संबंधित पक्षों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद संशोधनों के साथ यह विधेयक संसद में दोबारा पेश होने वाली है।


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