भीमा कोरेगांव : गिरफ्तारी व ट्रांजिट रिमांड पर चला तीखे सवाल-जवाब का सिलसिला
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली भीमा-कोरेगांव ¨हसा मामले में गिरफ्तार किए गए गौतम नवलखा की गिरफ्तारी व ट्रांजिट रिमांड को लेकर हाई कोर्ट में तीखे सवाल-जवाब का सिलसिला चला।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली
भीमा-कोरेगांव ¨हसा मामले में दिल्ली समेत कई राज्यों से गिरफ्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं को लेकर मचे हंगामे की गरमी बुधवार को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी महसूस की गई। हाई कोर्ट ने गौतम नवलखा की गिरफ्तारी की वैधता व ट्रांजिट रिमांड के आदेश पर सवाल उठाए तो पुणे पुलिस के वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अमन लेखी ने पुलिस की कार्रवाई को सही ठहराया। करीब डेढ़ घंटे तक हाई कोर्ट में सरकारी पक्ष व पीठ के बीच सवाल-जवाब का तीखा सिलसिला चला।
एएसजी अमन लेखी ने कहा कि भीमा-कोरेगांव ¨हसा मामले की जांच के दौरान पुणे पुलिस ने गौतम नवलखा समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है और इसी आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया है। उनके खिलाफ अदालत से ट्रांजिट रिमांड ली गई। ऐसे में मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का औचित्य नहीं है। इस पर न्यायमूर्ति एस मुरलीधर व न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कहा कि एफआइआर में ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जिसके आधार पर याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया जाए। पीठ ने मजिस्ट्रेट द्वारा जारी ट्रांजिट रिमांड पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे में जब रिमांड आवेदन को छोड़कर सभी दस्तावेज मराठी में हों तो मजिस्ट्रेट इसे कैसे समझ सकते हैं। पुणे पुलिस बुधवार शाम चार बजकर 20 मिनट तक भी दस्तावेजों की अनुवादित कॉपी अदालत में पेश नहीं कर सकी। क्या पुलिस के पास केस डायरी है? इस पर पुणे पुलिस ने न में जवाब दिया। पीठ ने कहा कि अगर गिरफ्तार किए जाने का आधार मराठी भाषा में लिखा है तो फिर गिरफ्तार किया गया व्यक्ति जो भाषा नहीं जानता उसे कैसे समझेगा। याचिकाकर्ता को पता ही नहीं है कि उसे किस आधार पर गिरफ्तार किया गया है।
पीठ ने निचली अदालत के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बिना केस डायरी का परीक्षण किए मजिस्ट्रेट द्वारा पुणे पुलिस को रिमांड देना निचली अदालत की लापरवाही है और यह न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन भी है। मंगलवार को 2 बजकर 50 मिनट पर गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया गया और चार बजे मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। ऐसे में सवाल यह है कि इस बीच मजिस्ट्रेट ने मराठी भाषा में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर कैसे ट्रांजिट रिमांड दे दिया। पीठ ने इन तीखों सवालों का पुणे पुलिस के वकील अमन लेखी के पास कोई सटीक जवाब नहीं था।