देवांगना पर लगाए पुलिस के आरोप अनुचित : हाई कोर्ट
पिजरा तोड़ ग्रुप के सदस्य व जेएनयू छात्र देवांगना कलीथा की याचिका पर दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल गए जवाब को दिल्ली हाई कोर्ट ने अनुचित करार दिया है। न्यायमूर्ति विभू बाखरू की पीठ ने पुलिस यह नहीं कह सकती है कि क्येांकि याचिकाकर्ता मीडिया ट्रायल चाहती थी इसलिए वह मीडिया में जानकारी दे रहे थे। पीठ ने कहा कि आप मीडिया ट्रायल का समर्थन नहीं कर सकते हैं और यह पुलिस का ²ष्टिकोण नहीं हो सकता है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा दंगे में आरोपित देवांगना कलिता पर लगाए गए आरोप को अनुचित बताया है। न्यायमूर्ति विभू बाखरू की पीठ ने कहा कि पुलिस यह नहीं कह सकती है कि देवांगना मीडिया ट्रायल चाहती थी इसलिए वह मीडिया में जानकारी दे रहे थे। मीडिया ट्रायल का समर्थन पुलिस नहीं कर सकती है। शपथ पत्र में कई ऐसे आरोप हैं, जो याचिका की सीमा से बहार हैं। इसलिए पीठ इन आरोपों को वापस लेने का पुलिस को सुझाव दे रही है। इस मामले में अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी।
दिल्ली दंगा व सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में आरोपित देवांगना कलिता की याचिका पर बृहस्पतिवार को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने कोर्ट में पुलिस का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि शपथ पत्र में दिया गया जवाब याचिका में लगाए गए आरोप पर आधारित है। इस पर पीठ ने कहा कि हर यचिकाकर्ता कहता है कि जांच निष्पक्ष नहीं है, लेकिन इस तरह के गैरजिम्मेदाराना शपथ पत्र की पुलिस से उम्मीद नहीं की जा सकती। इस पर लेखी ने कहा कि शपथ पत्र पर वह जवाब दाखिल करेंगे।
पुलिस ने अपने जवाब में कहा था कि सहानुभूति हासिल करने व लोगों की राय बनाने के लिए कलिता ने खुद ही मीडिया ट्रायल शुरू किया था। पुलिस ने सिर्फ कलिता पर लगे आरोपों और जुटाए गए सुबूतों की चुनिंदा जानकारी ही मीडिया को दी थी।
कलिता ने याचिका में कहा था कि क्राइम ब्रांच के अधिकारी जानबूझकर गलत जानकारी मीडिया को दे रहे हैं। इससे उनके परिवार को जान का खतरा है। इसके बाद हाई कोर्ट ने पिछली तारीख पर कलिता व पिंजरा तोड़ संगठन के अन्य सदस्यों के खिलाफ किसी भी तरह की जानकारी मीडिया या सोशल प्लेटफॉर्म पर देने पर रोक लगा दी थी।