जीएसटी के एक साल में दिल्ली के कारोबार ने पकड़ी रफ्तार
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू हुए एक साल होने वाला है। पिछले वर्
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू हुए एक साल होने वाला है। पिछले वर्ष 1 जुलाई को नई कर व्यवस्था लागू हुई थी। एक साल में दिल्ली के बाजार इसे आत्मसात करते हुए अपनी रफ्तार से दौड़ने लगे हैं। कारोबारी व्यवस्था में इसे सहजता से अपना लिया गया है। कारोबारियों के मुताबिक इससे पारदर्शी व्यापार को बढ़ावा मिला है। वैसे, वे चाहते हैं कि इसमें समय-समय पर सुधार होते रहने चाहिए। इसमें बदलाव और संशोधन किए जा रहे हैं।
वैसे, एक साल पहले की ही बात है जब जीएसटी लागू हुआ था तो दिल्ली के बाजारों में अफरा-तफरी का माहौल था। पंजीकरण से लेकर जीएसटी वेबसाइट के ठीक ढंग से काम न करने के आरोप लगे। इसके अलावा जीएसटी दरों को लेकर भी विरोध रहा। बाजार बंद और विरोध प्रदर्शन भी खूब हुए। सियासत भी जमकर हुई, लेकिन एक साल बाद यह व्यवस्था में ढल गया है।
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इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। ईमानदार कारोबारियों को पहले दिन से ही कोई दिक्कत नहीं आई। अब एक साल बाद कह सकते हैं कि नई कर व्यवस्था से उनका कारोबार बढ़ा ही है। हां, दिक्कत उनको आई है जो गलत तरीके से व्यापार करते थे और जो कर की चोरी करते थे। पेट्रो पदार्थो को भी इसके दायरे में लाना जरूरी है।
संजय भार्गव, अध्यक्ष, चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल।
जीएसटी हर लिहाज से अच्छा है, यह अब व्यापारियों की समझ में आ गया है। वैसे, नई कर व्यवस्था की शुरुआत में कुछ दिक्कतें थी। जीएसटी की साइट ठप पड़ जाती थी, लेकिन अब ठीक है। इस मौके पर यहीं मांग है कि जीएसटी रिटर्न की तारीख बढ़ा दें।
देवराज बवेजा, महामंत्री, कंफेडरेशन आफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन।
जीएसटी से एक देश-एक टैक्स की बात व्यावहारिकता में आई है। इससे दिल्ली व्यापार व उद्योग जगत को फायदा मिला है। हालांकि, कर दरों को लेकर आपत्तियां बरकरार है। होटल इंडस्ट्री में ही जीएसटी छूट की सीमा एक हजार रुपये किराये वाले होटल के कमरे ही हैं, जबकि महंगाई और बिजली-पानी की दरों को देखते हुए इसे बढ़ाकर 1500 से 2000 करने की जरुरत है, ताकि पर्यटकों पर टैक्स की मार न पड़े।
अरुण गुप्ता, महामंत्री, दिल्ली होटल महासंघ।
जीएसटी को अगर व्यापक विचार विमर्श के साथ लागू किया जाता तो इसके और अच्छे परिणाम सामने आते। इस कारण शुरू के दिनों में व्यापारियों को दिक्कतें आई। अच्छी बात है कि सरकार ने बाजार की दिक्कतों को देखते हुए इसमें समय-समय पर बदलाव किए और इसे आसान और व्यावहारिक बनाने का प्रयास किया। इसी तरह टैक्स दरों में कटौती और 28 फीसद के स्लैब को हटाने की आवश्यकता है।
बृजेश गोयल, संयोजक, चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री।