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लक्ष्मीनगर.. जहां तक नहीं पहुंच सका 'विकास का मार्ग'

विकास मार्ग के किनारे होकर भी लक्ष्मीनगर सही मायनों में विकास से अछूता रह गया है। खजूरी खास गांव की जमीन पर 1970 के आसपास इस इलाके में बसावट शुरू हुई थी। अनियोजित तरीके से 200-200 गज के प्लॉट काटे गए। आबादी बढ़ी तो 200 गज के प्लॉट 50-50 गज में बंट गए और इन पर फ्लैट की व्यवस्था काबिज हो गई। अतिक्रमण शुरू हो गया। नतीजतन गलियां संकरी हो गई। आज इस वजह से जाम पार्किंग समेत कई अन्य समस्याएं हैं। इन समस्याओं के बीच इसकी कई खूबियां भी हैं। यहां से सरकार को हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व मिलता है। यहां कई प्रमुख बाजार बन चुके हैं। इस कारण इसकी गिनती दिल्ली के शीर्ष दस बाजारों में भी होती है। इसके साथ ही मुखर्जी नगर के बाद यह शिक्षा का भी गढ़ बन गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 09:36 PM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2019 09:36 PM (IST)
लक्ष्मीनगर.. जहां तक नहीं पहुंच सका 'विकास का मार्ग'
लक्ष्मीनगर.. जहां तक नहीं पहुंच सका 'विकास का मार्ग'

स्वदेश कुमार, पूर्वी दिल्ली

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विकास मार्ग के किनारे होकर भी लक्ष्मीनगर सही मायनों में विकास से अछूता रह गया है। खजूरी खास गांव की जमीन पर 1970 के आसपास इस इलाके में बसावट शुरू हुई थी। अनियोजित तरीके से 200-200 गज के प्लॉट काटे गए। आबादी बढ़ी तो 200 गज के प्लॉट 50-50 गज में बंट गए और इन पर फ्लैट की व्यवस्था काबिज हो गई। अतिक्रमण शुरू हो गया। नतीजतन गलियां संकरी हो गई। आज इस वजह से जाम, पार्किंग समेत कई अन्य समस्याएं हैं। इन समस्याओं के बीच इसकी कई खूबियां भी हैं। यहां से सरकार को हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व मिलता है। यहां कई प्रमुख बाजार बन चुके हैं। इस कारण इसकी गिनती दिल्ली के शीर्ष दस बाजारों में भी होती है। इसके साथ ही मुखर्जी नगर के बाद यह शिक्षा का भी गढ़ बन गया।

यहां पार्क में चुनावी बिसात पर चर्चा कर रहे हुकुम देव (70) बताते हैं कि पहले लक्ष्मीनगर नगर बसा, फिर विकास मार्ग बना पर विकास तो बाहर ही रह गया। कुछ समस्याएं हमने खुद पैदा की तो कुछ सरकारी मशीनरी की उदासीनता से हमें मिल गई। ये बात अलग है कि लक्ष्मीनगर का नाम बड़ा हो गया। इसकी वजह बाजार है। लक्ष्मीनगर में सुभाष चौक मार्केट जहां किराने के सामान के लिए प्रसिद्ध है तो विजय चौक से लेकर लक्ष्मीनगर मुख्य बाजार कपड़ों और श्रृंगार के लिए। रमेश पार्क का बाजार भी मशहूर हो चुका है। वरना कोई पूछने वाला भी नहीं था।

लक्ष्मीनगर मेन मार्केट के दुकानदार प्रवीण कुमार का कहना है कि राष्ट्रीय मुद्दे लोकसभा चुनाव में असर तो डालते हैं, लेकिन हमें तो अपनी समस्याओं से छुटकारा दिलाने वाले की तलाश है। फिलहाल सिर्फ आप ने अपना प्रत्याशी खड़ा किया है। दूसरे दलों के प्रत्याशी नजर आएं तो बात बढ़े। लक्ष्मीनगर मार्केट एसोसिएशन के प्रधान प्रद्युम्न कुमार जैन बताते हैं कि नोटबंदी से आम आदमी और सीलिग से व्यापारी परेशान हुए। जीएसटी के कारण बाजार भी ठंडा पड़ गया, लेकिन बात यह भी कि दूसरी पार्टी ठीक तरीके से चलती तो सत्ता से बाहर नहीं होती। विजय चौक के कारोबारी नेम चंद गर्ग कहते हैं कि यहां महिलाएं बड़ी संख्या में खरीदारी करने आती हैं, लेकिन उनके लिए यहां सुविधाएं नहीं हैं। हमें जो सुविधा प्रदान करेगा, हम उनके साथ होंगे। आतंकवाद को जवाब से लेकर बिजली-पानी तक चर्चा में

यहां रहने वाले लोग अपनी समस्याओं से इतर भी बात कर रहे हैं। कोई आतंकवाद को दिए गए जवाब से खुश हैं तो कोई बिजली-पानी के बिलों में राहत मिलने से गदगद। स्थानीय निवासी मदन लाल बताते हैं कि साहब, यह चुनावी रंग है। आज बड़े-बड़े वादे किए जा रहे हैं, कल ये फीके पड़ जाएंगे। लेकिन हम तो बिजली-पानी में मिली छूट से ही खुश हैं। ललिता पार्क निवासी महेश राजोर (45) भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी पहचान से प्रसन्न हैं। उनका कहना है कि आज आतंकवाद को कड़ा जवाब दिया जा रहा है। हर रोज नया सवेरा हो रहा है। चौकीदार चोर कहने से सियासत नहीं बदलेगी, चौकीदार का सम्मान करने से बात बनेगी।


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