Move to Jagran APP

आप के 21 विधायकों पर तलवार, केजरीवाल को अब EC के फैसले का इंतजार

संसदीय सचिवों के मामले में दिल्ली सरकार अब चुनाव आयोग के फैसले के इंतजार में है। आयोग का फैसल आने के बाद सरकार आगे की रणनीति तय करेगी।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 15 Jun 2016 08:24 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jun 2016 11:23 AM (IST)
आप के 21 विधायकों पर तलवार, केजरीवाल को अब EC के फैसले का इंतजार

नई दिल्ली (जेएनएन)। संसदीय सचिवों के मामले में दिल्ली सरकार अब चुनाव आयोग के फैसले के इंतजार में है। आयोग का फैसल आने के बाद सरकार आगे की रणनीति तय करेगी।

loksabha election banner

राष्ट्रपति द्वारा संसदीय सचिवों से जुड़े बिल को लौटा दिए जाने के बाद जिस तरह से दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी ने प्रतिक्रिया दी है उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि संसदीय सचिवों की परेशानी बढ़ सकती है।

हालांकि सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सभी 21 विधायकों ने अलग-अलग जवाब चुनाव आयोग को दिए हैं, जिसमें साफ किया गया है कि संसदीय पद पर रहते हुए सरकार से कोई लाभ नहीं लिया है। सरकार ने लिखित में यह जानकारी दी है।

ऐसे में आयोग यह बात जरूर सुनेगा। इसके बाद कोई फैसला आता है तो अदालत का दरवाजा खुला है। विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि वह राष्ट्रपति की ओर से वापस भेजे गए बिल का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद थी कि बिल आज मिल जाएगा, लेकिन अभी तक नहीं मिला है। बिल देखने के बाद ही कुछ कह सकेंगे।

ये है पेंच

-मार्च 2015 : 21 विधायकों की संसदीय सचिव के तौर पर नियुक्ति
-जून 2015 : सरकार ने बिल लाकर संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से हटाया
-सरकार ने संशोधित क़ानून को बैक डेट से लागू करने का प्रस्ताव किया
-दिल्ली सरकार ने बिल को उपराज्यपाल के पास भेजा
-उपराज्यपाल ने बिल को केंद्र और राष्ट्रपति के पास भेजा
-दिल्ली सरकार के फ़ैसले को केंद्र से मंजूरी नहीं मिली
-मार्च में की गई नियुक्तियां गलत नहीं तो जून में संशोधित बिल क्यों?
-जून 2016: राष्ट्रपति ने इस संशोधित बिल को मना कर दिया


AAP की दलील

-लाभ के पद का सवाल ही नहीं है
-ना सरकार से कोई ऑफ़िस मिला, ना कोई ट्रांसपोर्ट
-ना कोई गैजेट, नोटबुक या पेन मिला
-विधानसभा में दफ़्तर संसदीय सचिव बनने की वजह से नहीं

ऑफिस ऑफ प्रॉफिट की श्रेणी में आया पद

अरविंद केजरीवाल ने 2015 में दोबारा सरकार गठन के बाद अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव का पद दिया था, लेकिन वह ऑफ़िस ऑफ़ प्रॉफ़िट की श्रेणी में आ गया, जिस पर विपक्ष ने काफ़ी सवाल उठाए। इसके बाद केजरीवाल सरकार अपने विधायकों को बचाने के लिए संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से दूर रखने के लिए एक बिल लेकर आई, जिसे कल राष्ट्रपति ने मंजूरी से इनकार कर दिया।

ये हैं 21 संसदीय सचिव

1.जरनैल सिंह, राजौरी गार्डन

2.जरनैल सिंह, तिलक नगर

3.नरेश यादव, महरौली

4.अलका लांबा, चांदनी चौक

5.प्रवीण कुमार, जंगपुरा

6.राजेश ऋषि, जनकपुरी

7.राजेश गुप्ता, वजीरपुर

8.मदन लाल, कस्तूरबा नगर

9.विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर

10.अवतार सिंह कालकाजी, कालकाजी

11.शरद चौहान, नरेला

12.सरिता सिंह, रोहताश नगर

13.संजीव झा, बुराड़ी

14.सोम दत्त, सदर बाजार

15.शिव चरण गोयल, मोती नगर

16.अनिल कुमार बाजपेयी, गांधी नगर

17.मनोज कुमार, कोंडली

18.नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर

19.सुखबीर दलाल, मुंडका

20.कैलाश गहलोत, नजफगढ़

21.आदर्श शास्त्री, द्वारका


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.