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आग ने सपनों को भी जला दिया

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : बीडनपुरा में प्रेस की इकाई में लगी आग में जान गंवाने वाले लोगों

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 11:03 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 11:03 PM (IST)
आग ने सपनों को भी जला दिया
आग ने सपनों को भी जला दिया

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : बीडनपुरा में प्रेस की इकाई में लगी आग में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। भगन प्रसाद की बेटी की 15 दिन बाद सगाई होने वाली थी। उनके परिवार में खुशी का माहौल था। खरीदारी हो चुकी थी, लेकिन सोमवार को परिजनों को भगन प्रसाद के मौत की सूचना मिली। खुशी का माहौल में मातम पसर गया। युवती आरती अपने भाइयों के लिए और आशा पति की बीमारी के बाद मजबूरी में प्रेस की इकाई में काम कर रही थीं। सभी के अपने-अपने सपने थे। इस हादसे ने उनके सपनों को भी जला दिया।

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भगन प्रसाद उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के बंजारिया गांव के रहने वाले थे। दिल्ली में वह टैंक रोड पर साथियों के साथ रह रहे थे, जबकि पूरा परिवार गांव में रह रहा है। भगन 20 साल से उक्त प्रेस यूनिट में काम कर रहे थे। उनके परिवार में पांच बेटियां और एक बेटा है। छोटी बेटी को छोड़कर सभी की शादी हो चुकी है। परिजन विकास ने बताया कि भगन की छोटी बेटी नंदिनी की सगाई 6 दिसंबर को होनी थी। वह सगाई की तैयारी कर रहे थे। अगले वर्ष मई में शादी थी। शादी के लिए भी भगन ने सारी तैयारियां पूरी कर ली थीं। बेटी के लिए सामान की खरीदारी हो चुकी थी। उन्होंने बताया कि छोटी होने के कारण भगन नंदिनी को काफी प्यार करते थे। वे उसकी शादी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते थे। उन्होंने गांव जाने के लिए दो दिसंबर का टिकट भी करा रखा था, लेकिन हादसे से पूरे परिवार में मातम पसर गया।

आरती विजय विहार स्थित डीडीए कालोनी में रहती थीं। परिवार में पिता इंद्रपाल, मा एक छोटा भाई व दो छोटी बहने हैं। इंद्रपाल छोटा-मोटा काम करते हैं। आरती प्रेस इकाई में एक वर्ष से काम कर रही थीं। परिजनों के मुताबिक भाई की पढ़ाई के लिए वह शादी के लिए मना कर देती थीं। उनका कहना था कि जब तक वह बहन व भाइयों को पढ़ा नहीं लेतीं तब तक शादी नहीं करेंगी।

आशा रैगरपुरा में रहती थीं। उनके परिवार में पति विजय और दो बेटे और एक बेटी है। विजय कुमार चप्पल बेचने का काम करते थे, लेकिन गत दिनों रीढ़ की हड्डी में बीमारी की वजह से उनकी कमर मुड़ गई थी। वह बेड पर आ गए थे। उनका धंधा बंद हो गया और घर चलाने की जिम्मेदारी आशा पर आ गई थी। उन्होंने बेटों और डीयू की छात्रा लिपिका को पढ़ाने के लिए अजय खुराना की फैक्टरी में नौकरी कर ली थी। उन्हें आठ हजार रुपये महीना तनख्वाह मिलती थी, लेकिन आग से हुई उनकी मौत ने परिवार को तोड़ दिया। मृतक राम नरेश के बारे में पुलिस को पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है। पुलिस उनके परिजनों के आने का इंतजार कर रही है।


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