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दस मिनट बाद थम गई आवाजें, खिड़की से निकले हाथ भी चले गए अंदर

किशन कुमार, नई दिल्ली बीडनपुरा में चार लोगों की मौत की लोमहर्षक तस्वीर आंखों के सामने घूम रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 10:41 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 10:41 PM (IST)
दस मिनट बाद थम गई आवाजें, खिड़की से निकले हाथ भी चले गए अंदर
दस मिनट बाद थम गई आवाजें, खिड़की से निकले हाथ भी चले गए अंदर

किशन कुमार, नई दिल्ली

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बीडनपुरा में चार लोगों की मौत की लोमहर्षक तस्वीर आंखों के सामने कौंध रही है। हर कोई स्तब्ध और खुद को बेबस महसूस कर रहा है। कानों में प्रेस यूनिट की खिड़की से आ रही महिलाओं की बचाने की चीत्कार गूंज रही है। अंदर फंसी महिलाएं करीब दस मिनट तक बचाव के लिए चिल्लाती-चीखती रहीं। फिर धुएं और आग ने उन्हें अपनी जद में ले लिया। खिड़कियों से उनके हाथ अंदर चले गए। आवाजें खामोश हो गई। बाहर बचाव के लिए हर जतन करते लोगों के चेहरे जर्द हो गए। जैसे उनके शरीर से भी प्राण निकाल लिए गए हों।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रोजाना की तरह हर कोई अपने काम में मशगूल था। कोई घर में खाना खा रहा था तो कोई टीवी देख रहा था। अचानक मकान में आग लगने की सूचना आग की तरह ही फैल गई। जिसे सूचना मिली वह घटनास्थल की तरफ दौड़ पड़ा। आग लगने वाले मकान के पीछे की गली में बराबर में रहने वालीं बुजुर्ग किशन देवी ने बताया कि वह घर के बाहर बैठी थीं। अचानक मकान से धुएं का गुबार उठने लगा। आग की लपटें मकान को जद में ले चुकी थीं। पहली मंजिल से दो महिलाएं लोहे की खिड़की से हाथों को बाहर निकालकर बचाओ-बचाओ की आवाजें लगाकर जोर-जोर से चिल्ला रही थीं। हर कोई मदद के लिए उनकी तरफ दौड़ा। करीब दस मिनट तक महिलाओं के चिल्लाने की आवाज आई और उसके बाद खामोशी छा गई।

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मदद के लिए तुरंत दौड़े लोग

आग लगते ही चीख-पुकार मच गई। इलाके में मौजूद जिस व्यक्ति को जो मिला वह वही लेकर आग बुझाने के लिए दौड़ पड़ा। कई लोग अपने घरों से पानी की बाल्टियां लेकर पहुंचे। पीछे गली में रहने वाले लोगों ने अपने-अपने घरों से पानी की पाइप से आग बुझाने की पूरी कोशिश की, लेकिन आग इतनी विकराल रूप ले चुकी थी कि सैकड़ों बाल्टी पानी डालने के बाद भी वह नहीं बुझी। इस दौरान दमकल विभाग को 50 से 60 कॉल किए जा चुके थे।

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सीढ़ी लगाकर बचाने की कोशिश की

आग लगने वाले मकान के पीछे की गली में रहने वाले लोगों ने बताया कि जिस समय महिलाएं बचाव के लिए आवाजें लगा रही थीं, उस समय लोगों ने पहली मंजिल तक पहुंचने के लिए लकड़ी की सीढ़ी का भी उपयोग किया, लेकिन आग की वजह से लोहे की खिड़की गरम होकर लाल हो चुकी थी। इस कारण खिड़की को छूना भी मुश्किल हो गया था। लोगों ने कहा कि यदि खिड़की लकड़ी की होती तो मकान में फंसे लोगों की जान बचाई जा सकती थी।


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