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मुआवजे के लिए कागजों में जिंदा को भी मार डाला

स्वदेश कुमार, पूर्वी दिल्ली : कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) में मुआवजा घोटाला चल रहा ह

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Sep 2017 09:40 PM (IST)Updated: Sun, 10 Sep 2017 09:40 PM (IST)
मुआवजे के लिए कागजों में जिंदा को भी मार डाला
मुआवजे के लिए कागजों में जिंदा को भी मार डाला

स्वदेश कुमार, पूर्वी दिल्ली : कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) में मुआवजा घोटाला चल रहा है। निजी कंपनी के साथ मिलकर ईएसआइसी के अधिकारी फर्जी कागजात बनाकर ये खेल कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला यमुनापार में सामने आया है। यहां फ्रेंड्स कॉलोनी औद्योगिक क्षेत्र स्थित निजी कंपनी में पिछले साल करंट लगने से एक कर्मचारी की मौत हो गई। कंपनी ने मुआवजा देने से बचने के लिए दूसरी कंपनी में कार्य कर रहे एक हमनाम कर्मचारी के बीमा नंबर पर मृत कर्मचारी के परिजनों को ईएसआइसी से मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कड़कड़डूमा की अधिवक्ता अंजली धवन के सहयोगी हरीश गोयल ने इस मामले की तहकीकात की और सुबूत जुटाए। इन सुबूतों को अंजली धवन ने ईएसआइसी के सतर्कता विभाग को सौंप दिया। मामले में जांच बैठ गई और मृतक कर्मचारी की पत्नी व दो बेटों को एक साल बाद भी मुआवजा नहीं मिला। बता दें कि ईएसआइसी में मुआवजा पेंशन के रूप में बीमित व्यक्ति के परिवार को मिलता है।

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यह था मामला

फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित अनमोल इंटरप्राइजेज में शिव विहार, करावल नगर निवासी राकेश मिश्रा (40) पुत्र राम नरेश मिश्रा काम करता था। 26 जून, 2016 को कंपनी में ही करंट लगने से उसकी मौत हो गई। घटना के समय कंपनी ईएसआइसी में दर्ज नहीं थी। जीटीबी एंक्लेव थाने में 27 जून को कंपनी के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज कर लिया गया, जिसके बाद कंपनी को राकेश मिश्रा को भारी मुआवजा देना था। कंपनी ने इससे बचने के लिए एक बिचौलिये की मदद से जनकपुरी स्थित इंडिगो इंफ्राप्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड में काम करने वाले राकेश मिश्रा (26) पुत्र शशि कांत मिश्रा के ईएसआइ नंबर के आधार पर फर्जी कागज तैयार करवाए। इसी आधार पर मुआवजे के लिए ईएसआइसी में अपील की गई। अपील स्वीकार हो गई और मृतक के परिजनों को मुआवजा देने के लिए कार्यालय से फोन भी आ गया। इसी दौरान शिकायत पर जांच शुरू कर दी गई। इस मामले में सतर्कता विभाग के अधिकारियों से संपर्क नहीं हो सका लेकिन मुआवजा देने वाले विभाग के सहायक निदेशक दीपक कुमार ने मामले की जांच जारी होने की पुष्टि की है।

कैसे खुली पोल

दैनिक जागरण के पास मौजूद कागजात के मुताबिक इंडिगो इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड में काम करने वाले राकेश मिश्रा का ईएसआइ इंश्योरेंस नंबर 1114274369 है। इसमें मार्च, 2014 तक अंशदान दिया गया। इसके बाद यह अंशदान नहीं होने के कारण इसे बंद कर दिया गया। इसी नंबर पर 2016 में अनमोल इंटरप्राइजेज ने अपने कर्मचारी राकेश मिश्रा के फर्जी कागज तैयार करवा दिए गए। इस कागज की प्रति जागरण के पास मौजूद है। इसमें इंश्योरेंस नंबर 1114274369 दर्ज है। इसका रजिस्ट्रेशन 14 दिसंबर 2013 बताया गया है। जबकि इसी कागज में अनमोल इंटरप्राइजेज में नियुक्ति की तारीख दो मार्च, 2016 दर्ज है। साथ ही बताया गया है कि पहले वह इंडिगो इंजीनिय¨रग में काम करता था। इंडिगो इंफ्रा प्रोजेक्ट ने पत्र जारी कर बताया कि उसके यहां काम करने वाले राकेश मिश्रा की उम्र 26 साल और पिता का नाम शशि कांत मिश्रा था। 2014 के बाद उसने काम छोड़ दिया था। उक्त राकेश मिश्रा का पैन नंबर और आधार नंबर भी शिकायतकर्ता के पास है।

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उपभोक्ता अदालत में भी पहुंचा

अधिवक्ता अंजली धवन इस मामले को लेकर छह सितंबर को उपभोक्ता अदालत पहुंचीं। यहां उनकी याचिका स्वीकार कर ली गई है। इस मामले में सुनवाई की तारीख 26 सितंबर दी गई है। अंजली धवन के मुताबिक इस तरह के कई मामले ईएसआइसी में चल रहे हैं।

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जांच अधिकारी का तबादला

राकेश मिश्रा की मौत मामले की जांच शुरुआत में ईएसआइसी के एक अधिकारी कर रहे थे। उन्होंने कई विसंगतियां पाईं थी, लेकिन रिपोर्ट बनाने से पहले ही उनका प्रमोशन हो गया और फिर उनका तबादला कर दिया गया। अब उनके तबादले को भी संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है।


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