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95 में से 54 हजार ऑटो चल रहे नियमों को ताक पर रखकर

दिल्ली में ऑटो चालक किराया बढ़ाने की मांग तो कर रहे हैं लेकिन आधे से अधिक नियम कायदों को ताक पर रखकर चल रहे हैं। हालात यह है कि दिल्ली में चल रहे 95 हजार ऑटो में से केवल 41 हजार में ही जीपीएस सिस्टम काम ही कर रहा है जबकि 54 हजार बगैर जीपीस के ही चल रहे हैं। यह तथ्य सामने आया बृहस्पतिवार को इंडिया हैबीटेट सेंटर में हुई पर्यावरण प्रदूषण लियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) की बैठक में।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 09:52 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 09:52 PM (IST)
95 में से 54 हजार ऑटो चल रहे नियमों को ताक पर रखकर

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली में ऑटो चालक किराया बढ़ाने की मांग तो कर रहे हैं, लेकिन आधे से अधिक ऑटो नियमों को ताक पर रखकर चल रहे हैं। हालात यह है कि दिल्ली में चल रहे 95 हजार ऑटो में से केवल 41 हजार में ही जीपीएस सिस्टम काम कर रहा है जबकि 54 हजार बगैर जीपीएस के ही चल रहे हैं। यह तथ्य सामने आया बृहस्पतिवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर में हुई पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) की बैठक में।

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ईपीसीए अध्यक्ष भूरेलाल की अध्यक्षता में यह बैठक बीएस-6 ईंधन चालित ऑटो को लेकर ऑयल कंपनियों, ऑटो निर्माता कंपनियों व संबंधित अधिकारियों के साथ रखी गई थी। दरअसल, बजाज ऑटो ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह बीएस-6 के ऑटो को तुरंत सड़कों पर उतार सकते हैं, लेकिन इसके लिए दिल्ली में नए ऑटो परमिट पर लगी रोक को खत्म किए जाने की जरूरत है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ईपीसीए को इस पर एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।

ईपीसीए ने कहा कि ऑटो की कमी तो महसूस हो रही है। एनसीआर में 84 हजार डीजल ऑटो चल रहे हैं। इन्हें हटाने को भी कहा गया है। इसलिए संबंधित अधिकारियों से उनकी उम्र व अन्य जानकारी मांगी गई है। साथ ही कहा गया है कि ऐसे ऑटो जिनकी उम्र पूरी हो चुकी है, उन्हें सीएनजी या एच-सीएनजी में तब्दील किया जाए। इसके लिए नई तकनीक के ऑटो की जरूरत होगी। इस रिपोर्ट में हम यह भी जांच कर रहे हैं कि बीएस-6 आने से प्रदूषण में कितनी कमी आएगी? इनके लिए क्या व्यवस्था रहेगी?

ईपीसीए की सदस्य सुनीता नारायण ने कहा कि जीपीएस काम न करने की वजह के तौर पर हमें बताया गया है कि या तो सिम काम नहीं कर रहे हैं या फिर उन्हें निकाल दिया गया है। सुनीता ने कहा कि ऑटो सस्ता सार्वजनिक परिवहन है और जब तक यह पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं होंगे, लोग निजी वाहन नहीं छोड़ेंगे। इसलिए अब इस तथ्य पर भी विचार कर रहे हैं। इसके लिए कई पहलुओं पर ध्यान देकर रिपोर्ट बनाई जा रही है। आगामी दस दिनों में यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दी जाएगी।


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