इलेक्ट्रिक बसें अच्छी, चलाना कठिन
फोटो 604 से 606 तक -चीन का दौरा कर आए प्रतिनिधिमंडल ने दी जानकारी - बसें महंगी, दिल्ली सर
वी.के.शुक्ला,नई दिल्ली
दिल्ली सरकार भले ही राजधानी में एक हजार इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए हाथ पैर मार रही है। मगर दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसें चलाना और इन्हें सफल बनाना आसान नहीं है। चीन में ये बसें इसलिए सफल हुई, क्योंकि वहां की सरकार द्वारा जगह-जगह चार्जिग प्वाइंट बनाए गए हैं। यहां बसों को इलेक्ट्रिक लाइन (ट्रॉली) से भी चलाया जाता है। इसके तहत बिजली के केबल के माध्यम से बसें चलती हैं। जिन इलाकों में यह सुविधा नहीं है वहां बैट्री से बसें चलती हैं। इस प्रकार की भी बसें हैं जो 75 फीसद ट्राली से चलती हैं और 25 फीसद बैट्री बैकअप रहता है। ऐसी बसें 200 किलोमीटर तक रूट कवर करती हैं।
बड़े रूट की बसें एक बार चार्ज होने के बाद 200 किलोमीटर चलती हैं। इन्हें छह घंटे तक चार्ज किया जाता है। जबकि छोटे रूट की बसें एक बार चार्ज होने के बाद 75 किलोमीटर तक चलती हैं। इसे कम से एक घंटा चार्ज किया जाता है। चीन ने एक नई तकनीक भी विकसित की है जिससे 20 मिनट में बैट्री चार्ज हो जाती है और 75 किलोमीटर चलती है। दरअसल ये जानकारियां 19 अक्टूबर को चीन से लौट कर आए प्रतिनिधिमंडल से बात करने पर मिलीं। इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए परिवहन विभाग के विशेष आयुक्त के. के. दहिया के नेतृत्व में बसों का निरीक्षण करने के लिए प्रतिनिधिमंडल 13 अक्टूबर को चीन गया था।
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे
दिल्ली कांट्रेक्ट बस एसोसिएशन के महासचिव हरीश सभ्भरवाल कहते हैं कि चीन का दौरा सफल रहा है। चीन की इलेक्ट्रिक बसें अच्छी हैं। बसों की उम्र 15 साल है। बैट्री की उम्र 6 साल है। ब्रेकडाउन बहुत कम यानी .04 फीसद है। चीन ने इलेक्ट्रिक बसें चला कर कई हजार टन कार्बन डाइऑक्साइड कम किया है। बीजिंग पब्लिक ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन 12 हजार इलेक्ट्रिक बसें चलाता है। बीजिंग का एरिया दिल्ली से बड़ा है। वहां अलग अलग तरह के रूटों पर बसें चलती हैं। कुछ रूट 30-40 किलोमीटर के हैं तो कुछ रूट और ज्यादा लंबे हैं। चीन की कंपनियों के अनुसार उनकी बसें हर मौसम के अनुकूल हैं। बसें महंगी हैं, इसके लिए सरकार को सब्सिडी भी देनी होगी।