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डीयू नियुक्ति विवाद : कुलपति ने गिनाई अपनी उपलब्धियां

दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यकारी कुलसचिव की नियुक्ति पर घमासान मचा हुआ है। विवि प्रशासन दो खेमों में बंट चुका है। हालत यह है कि प्रतिदिन दोनों ही खेमों की तरफ से एक के बाद एक नोटिस जारी किए जा रहे हैं। इन सबके बीच मंगलवार को कुलपति ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाई। जरिया बने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री। कुलपति प्रो योगेश त्यागी ने 26 पेजों में अपनी उपलब्धि समेटते हुए विवरण जारी किया। जिसके पहले ही पेज पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द संग उनकी फोटो थी तो वहीं अपनी उपलब्धियों को उन्होने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से सिद्धि एवं न्यू इंडिया की भावना से प्रेरित बताया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 09:17 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 09:17 PM (IST)
डीयू नियुक्ति विवाद : कुलपति ने गिनाई अपनी उपलब्धियां
डीयू नियुक्ति विवाद : कुलपति ने गिनाई अपनी उपलब्धियां

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

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दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यकारी कुलसचिव की नियुक्ति पर घमासान मचा हुआ है। विवि प्रशासन दो खेमों में बंटा है। इस बीच जब कुलपति पर सवाल उठे तो मंगलवार को कुलपति ने अपनी उपलब्धियां गिनाई।

कुलपति प्रो. योगेश त्यागी ने 26 पन्नों में अपनी उपलब्धियों का बखान किया और साथ में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ फोटो भी पेश की साथ ही खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से सिद्धि एवं न्यू इंडिया की भावना से ओत-प्रोत साबित करने की कोशिश की।

कुलपति ने बताया कि चार साल के उनके कार्यकाल में डीयू विश्व के शीर्ष 500 विवि की सूची में शामिल हुआ। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी इसे श्रेष्ठ संस्थानों में शामिल किया जिसकी वजह से डीयू को आगामी पांच वर्षो एक हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त अनुदान मिलेगा। कुलपति ने डीयू को 2018 में ए प्लस ग्रेड मिलने का भी जिक्र किया है।

उन्होंने बताया कि उनके कार्यकाल में दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म, दिल्ली स्कूल ऑफ ट्रांसनेशनल अफेयर, इंस्टीट्यूट ऑफ साइबर सिक्योरिटी एंड लॉ, दिल्ली स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, फतेहपुर बेरी में छात्राओं के लिए नए कॉलेज की स्थापना की गई।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के खिलाफ लामबंदी हुई शुरू : मंगलवार को दयाल सिंह कॉलेज के चेयरमैन राजीव नयन ने फेसबुक पोस्ट लिखा जिसमें उन्होने लिखा 'मैं, कुलपति प्रो. योगेश त्यागी का समर्थन करता हूं। कुलपति दूरदर्शी हैं एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।' इसके पहले सोमवार को डीयू के चांसलर नॉमिनी प्रो. राजकुमार भाटिया ने कहा था कि कुलपति की तबियत जरूर खराब थी, लेकिन ठीक होने के बाद उन्होंने अपना कार्यभार संभाल लिया था। ऐसा कोई नियम नहीं है कि कुलपति को बीमारी से ठीक होने के बाद दोबारा ज्वाइन करने के लिए सर्टिफिकेट देना पड़े। प्रो. भाटिया ने कहा कि पूरे प्रकरण में मंत्रालय ने अनधिकृत तरीके से हस्तक्षेप किया है। विवि में मंत्रालय की भूमिका और हस्तक्षेप में अंतर होता है। मंत्रालय सलाह दे सकता है, आदेश नहीं।


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