डूटा ने त्रिपक्षीय एमओयू का किया विरोध
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) की ओर विश्वविद्यालयों को त्रिपक्षीय एमओयू में हस्ताक्षर करने के फैसले का विरोध किया है।
डूटा के अध्यक्ष राजीव रे ने कहा कि एमओयू के तहत विश्वविद्यालय अनुदान समिति (यूजीसी) और एमएचआरडी के साथ उस दस्तावेज पर विश्वविद्यालयों हस्ताक्षर करने होंगे जिसमें यह बताना होगा कि वह किस तरीके से फंड जुटाएंगे और कैसे फंड को बढ़ाएंगे। यह एक तरह से विश्वविद्यालयों को मिलने वाली निधियों की रिहाई से संबंधित है। साथ ही इसमें विश्वविद्यालयों को यह भी बताना होगा कि किस तरीके से फीस में बढ़ोतरी करेंगे। उच्च शिक्षा निधि एजेंसी (हेफा) से जो वह लोन को लेना चाहते हैं, उसके संदर्भ में वह किन-किन तरीकों से फंड को विश्वविद्यालय में लाएंगे।
राजीव रे ने एमओयू पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह शिक्षा का निजीकरण हो रहा है। इससे विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों पर आर्थिक बोझ बढे़गा, क्योंकि फीस बढ़ोतरी के जरिये ही विद्यार्थियों को दिक्कतें आएंगी। इसी माध्यम से विश्वविद्यालय फंड जुटाएंगे। कार्यकारी परिषद की बैठक में भी होगी चर्चा :
डूटा के कई सदस्यों ने कहा कि 27 सितंबर को डीयू की कार्यकारी परिषद (ईसी) की बैठक होने जा रही है, जिसमें विश्वविद्यालय को एमएचआरडी और यूजीसी के साथ त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने की बातचीत होगी। डूटा के सदस्यों ने दावा करते हुए कहा कि जानबूझकर यह एमओयू डीयू प्रशासन को हस्ताक्षर करने के लिए कहा जा रहा है। एक तरह से डीयू प्रशासन से कहा जा रहा है कि वह इस एमओयू को हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को मंजूर करें, अन्यथा यूजीसी से मिलने वाली निधि पर भी असर पड़ सकता है।