क्या न्यायिक अधिकारी से चौपाल से कार्यवाही कराना चाहती है दिल्ली सरकार: हाई कोर्ट
अनुदान नहीं जारी करने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिचाई करते हुए कहा कि क्या सरकार न्यायिक अधिकारी से चौपाल से कार्यवाही कराना चाहती है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली
अनुदान नहीं जारी करने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिचाई करते हुए कहा कि क्या सरकार न्यायिक अधिकारी से चौपाल से कार्यवाही कराना चाहती है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने कहा कि 150 न्यायिक अधिकारी एक-दो महीने में तैनात होने वाले हैं और उनकी अदालतें सहायक कर्मचारियों के बिना नहीं चल सकेंगी। भर्ती में देरी न हो इसके लिए पीठ ने अपने बजट से अपेक्षित 2.52 करोड़ रुपये निचली अदालत को जारी करने का निर्देश दिया। हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि यह राशि दिल्ली सरकार द्वारा 31 दिसंबर या इससे पहले हाई कोर्ट को वापस कर दी जाए।
पीठ ने रिकॉर्ड पर लिया कि भर्ती प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में की जा रही थी और शीर्ष अदालत को पता चलना चाहिए कि दिल्ली सरकार की ओर से उनके द्वारा कितना प्रतिरोध किया जा रहा था। पीठ ने दिल्ली सरकार के अधिवक्ता से कहा कि शुक्र है कि हाई कोर्ट के पास अपना फंड है। न्यायाधीशों के न्यायिक दायित्वों के कुशल निर्वहन के लिए जिला अदालतों को सुविधाओं के लिए कई आदेश पारित किए गए, लेकिन ये सभी मुद्दे काफी लंबे समय से लंबित हैं। दिल्ली सरकार के वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को मामले में हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों के बारे में अवगत कराया। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के समक्ष प्रकरण को पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाए, लेकिन वे इसकी समयसीमा नहीं बता सके।
मूलभूत जरूरतों के लिए भी नहीं दे रहे फंड
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि निचली अदालतें दिल्ली सरकार को बड़ा राजस्व दे रही है, लेकिन उन्हें उनकी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी फंड नहीं दिया जा रहा है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने कहा कि निचली अदालत द्वारा वर्चुअल ट्रैफिक जुर्माना के जरिये 115 करोड़ रुपये एकत्रित किया गया। आखिर आप क्या चाहते हैं? आप सोने की अंडा देने वाले को मारना चाहते हैं।