मंदिरों में पहुंचे भक्त, मां के दर्शन कर कन्या जिमाई
जागरण संवाददाता बाहरी दिल्ली शारदीय नवरात्र की महानवमी के अवसर पर भक्तों ने देवी रूपी न
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली :
शारदीय नवरात्र की महानवमी के अवसर पर भक्तों ने देवी रूपी नौ कन्याओं को जिमाने (भोजन कराना) के बाद अपना व्रत खोला। दुर्गा अष्टमी की तरह ही रविवार को एक तरफ मां दुर्गा के मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा वहीं, दूसरी ओर सज-संवरकर आई कन्याओं का भी गली-मोहल्लों के घरों में आना जाना लगा रहा। मंदिरों में जहां भक्तों का स्वागत सैनिटाइजर के साथ किया गया, वहीं भक्तों के घरों में प्रवेश करने से पहले कन्याओं के हाथों को भी सैनिटाइज किया गया। मंदिरों में शारीरिक दूरी के साथ मां दुर्गा की आराधना की गई तो घरों में नौ कन्याओं की पूजा की गई। जहां मंदिरों में भक्तों को गेंदे के फुलों की माला और पेठे की मिठाई प्रसाद के रूप में दी गई वहीं, भक्तों ने कन्याओं को डिब्बा बंद प्रसाद, दक्षिणा व मास्क बांटे।
भक्तों के घर से जिमकर लौटती छोटी-छोटी बच्चियां बिल्कुल देवी का रूप लग रही थीं। उनके माथे पर बंधी माता की चुनरी और हाथों में पकड़ा प्रसाद देखकर साफ पता लग रहा था कि वह अभी किसी भक्त के घर से जिमकर आई हैं। प्रसाद और दक्षिणा पाकर बच्चियां फुली नहीं समा रही थीं। उनके चेहरों पर खुशी साफ देखी जा सकती थी। कन्याएं हुई खुश, भाई दिखे नाराज
महानवमी पर कन्याओं को खूब लाड-प्यार और दक्षिणा मिली। उनके पास काफी रुपये व मिठाई एकत्रित हो गई थी। शनिवार की तरह रविवार को भी भक्त कन्याओं को ज्यादा पूछ रहे थे। बच्चियों के भाई इस अनदेखी से काफी नाराज दिखाई दिए। प्रशांत विहार में मंदिर के बाहर छोटी सी कन्या आंचल अपने भाई मोनू को यह कहकर चिढ़ा रही थी कि उसके पास इतने ज्यादा रुपये हैं। वह इन रुपयों से खेलने का सामान खरीदेगी। इस पर मोनू को थोड़ा गुस्सा आ रहा था कि आंचल के पास रुपये हैं और उसके पास नहीं। वह आंचल से कह रहा था कि बहन मुझे भी दस रुपये दे दो। पैसों को लेकर कुछ देर तो दोनों भाई बहनों की नोकझोंक चली, लेकिन कुछ देर बाद आंचल ने मोनू को दस रुपये दे दिए। इसके बाद दोनों पास के ही दुकान पर खरीदारी करने चले गए।