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    दिल्ली के रैनबसेरे बन रहे जानलेवा: 14 वर्षों में आग की घटनाओं ने छीनी चार जिंदगियां, सुरक्षा आडिट की मांग

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 05:41 AM (IST)

    दिल्ली के रैनबसेरों में आग लगने की घटनाओं में पिछले 14 सालों में चार लोगों की जान जा चुकी है। सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण रैनबसेरे जानलेवा बन रहे हैं। रैनबसेरों के सुरक्षा ऑडिट की मांग उठ रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और कमजोर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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    कुली कैंप के पास आग बुझाने के बाद रैन बसेरे के भीतर की स्थिती। जागरण

    जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। बेघर कामगारों के लिए दिल्ली में रात्रि विश्राम की व्यवस्था की गई। पर बेहतर रख-रखाव के अभाव और सुरक्षा खामियों के चलते ये आश्रय स्थल उनके लिए काल साबित हो रहा है। बीते 14 वर्षों में रैनबसेरों में आग लगने की तीन बड़ी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें एक नौ वर्ष की लड़की समेत चार लोग जान भी गंवा चुके हैं।

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    बेघर कामगारों के लिए काम करने वाली सेंटर फार हालिस्टिक डेवलपमेंट संस्था ने सोमवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता समेत चीफ फायर आफिसर को पत्र लिखकर सभी प्रकार के रैनबसेरों में तत्काल सुरक्षा आडिट कराए जाने की मांग की है।

    बुनियादी ढांचे की कमी प्रमुख वजह

    रैन बसेरों में बार-बार आग लगने की घटनाओं की प्रमुख वजह अग्नि सुरक्षा मानकों एवं बुनियादी ढांचे में कमियां हैं। संस्था ने दिल्ली के सभी स्थायी, अस्थायी एवं तंबू आश्रय स्थलों का मुख्य अग्निशमन अधिकारी या अधिकृत अधिकारी द्वारा तत्काल अग्नि सुरक्षा आडिट करने और स्पष्ट अग्नि सुरक्षा मानक तैयार कराने की मांग की है।

    वहीं दीनदयाल अंत्योदय योजना-नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन के तहत शहरी बेघरों के लिए दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार सभी अस्थायी आश्रय स्थलों को शीघ्र स्थायी रैन बसेरों में परिवर्तित किया जाए। आश्रय स्थलों में बिजली कनेक्शन और वायरिंग का आडिट संबंधित विद्युत प्रदाताओं एवं ड्यूसिब द्वारा कराकर आवश्यक सुधार किए जाएं।

    फायरप्रूफ और वाटरप्रूफ तंबुओं की व्यवस्था जरूरी

    अस्थायी आश्रयों के लिए फायरप्रूफ और वाटरप्रूफ तंबुओं की व्यवस्था हो। अग्निशमन उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए और देखभाल करने वाले कर्मचारियों को अनिवार्य प्रशिक्षण दिया जाए। आश्रय स्थलों के संचालन के लिए नीलामी आधारित टेंडर प्रणाली को समाप्त कर केवल विश्वसनीय एवं सक्षम संस्थाओं का पैनल बनाकर संचालन की व्यवस्था की जाए।

    कुली कैंप के रैनबसेरे (शेल्टर कोड 147) में हुई घटना की तत्काल जांच कर कारणों, सुरक्षा चूक और जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करते हुए आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जाएं। संस्था के कार्यकारी निदेशक सुनील कुमार आलेडिया ने बताया कि बेघर व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों में बार-बार जानलेवा दुर्घटनाएं अत्यंत चिंताजनक हैं।

    सरकार से अनुरोध है कि शीघ्र एवं प्रभावी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।

    रैनबसेरों में आग लगने की घटनाएं

    • 01 दिसंबर 2025: कुली कैंप, वसंत विहार स्थित रैन बसेरे में आग लग गई, जिसमें झुलसकर 20 वर्षीय अर्जुन और 42 वर्षीय संतोष की मृत्यु हो गई।
    • 03 मार्च 2018: दिल्ली में एक अस्थाई आश्रय स्थल में शॉर्ट सर्किट से लगी आग में एक युवक की मौत हुई।
    • 19 नवंबर 2011: बंगला साहिब गुरुद्वारा के पास स्थित एक तंबू आश्रय स्थल में आग लगने से नौ वर्षीय बच्ची की मृत्यु हो गई तथा कई बेघर परिवारों की संपत्ति नष्ट हो गई।