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पूरे साल खराब रहती है आबोहवा, दिखती सिर्फ सर्दियों में है

सुधीर कुमार पाडेय, नई दिल्ली दिल्ली-एनसीआर में इस मौसम में खराब आबोहवा के लिए यहा की भौगो

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Nov 2017 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 16 Nov 2017 03:00 AM (IST)
पूरे साल खराब रहती है आबोहवा, दिखती सिर्फ सर्दियों में है
पूरे साल खराब रहती है आबोहवा, दिखती सिर्फ सर्दियों में है

सुधीर कुमार पाडेय, नई दिल्ली

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दिल्ली-एनसीआर में इस मौसम में खराब आबोहवा के लिए यहा की भौगोलिक परिस्थितिया जिम्मेदार हैं हीं, मानवजनित परिस्थितिया भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। सिर्फ पराली को दोष देना ठीक नहीं है। साल के बारहों महीने दिशा-निर्देशों की अवहेलना कर चलता निर्माण कार्य और अवैध फैक्ट्रिया, धुआ छोड़ते लाखों वाहन, सड़कों पर पड़ा रहने वाला कूड़ा, उड़ती धूल, खुले में जलती पत्तिया और कूड़ा, ये सभी आबोहवा को खराब करते हैं। इस वजह से पूरे साल दिल्ली-एनसीआर की हवा सास लेने लायक नहीं रहती है। जब तक इन पर अंकुश नहीं लगेगा, तब तक आबोहवा की गुणवत्ता नहीं सुधरेगी। वायु की गुणवत्ता को नापने के पैमाने (एयर क्वालिटी इंडेक्स) का संतोषजनक स्तर 100 तक है, लेकिन अपवाद छोड़ दें तो शायद ही हवा इस स्तर पर आकर टिकती हो। स्तर लगभग 100 के ऊपर ही रहता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अपर निदेशक डॉ. दीपाकर साहा कहते हैं आबोहवा पूरे साल खराब रहती है, बस दिखती नहीं है। सर्दियों में हवा में नमी की मात्रा बढ़ जाती है और रफ्तार भी कम हो जाती है। इस वजह से हवा में घुले सूक्ष्म कण सघन रूप में फॉग के रूप में दिखते हैं, जबकि गर्मियों में ये सूक्ष्म कण हवा में घुले तो होत हैं, लेकिन दिखते नहीं हैं। ऑड-इवेन, सड़कों पर पानी के छिड़काव आदि से कुछ राहत तो मिल सकती है, लेकिन ये स्थायी समाधान नहीं हैं। प्रदूषण को मात देने के लिए हर एक व्यक्ति को अपने स्तर पर प्रयास करना होगा।

अगले साल न बने स्मॉग, अभी से करने होंगे ये

प्रयास

-निर्माण कायरें पर धूल न उड़े

-सड़कों पर धूल न जमा हो

-सड़कों की खोदाई के बाद धूल सही जगह ठिकाने लगाई जाए

-मलबा खुले में न फेंके

-कूड़ा व पत्तिया न जलाएं

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पराली वर्ष में केवल दो बार जलाई जाती है, लेकिन समस्या सिर्फ इसी मौसम में होती है। ऑड-इवेन व कृत्रिम बारिश क्षणिक समाधान हैं। 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर के बीच मौसम साथ नहीं देता है। इस समय हमारा प्रयास होना चाहिए कि बिल्कुल प्रदूषण न फैले। हमें इस वक्त निर्माण कायरें, थर्मल पावर प्लाट व जेनसेट को बंद करना चाहिए। कूड़ा न जलाएं, वाहन कम प्रयोग करें, तभी इस स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

-दीपाकर साहा-अपर निदेशक, सीपीसीबी

मई से जुलाई तक 15तारीख को एयर क्वालिटी इंडेक्स

क्षेत्र-15 मई-15 जून-- 15 जुलाई-

आइटीओ 294- 190-112-

पंजाबी बाग --322---

द्वारका 156-324-- 104--

गाजियाबाद,वसुंधरा -332-368--108-

फरीदाबाद 248--77-74-

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(एयर क्वालिटी इंडेक्स: 0-50 अच्छा, 51-100 संतोषजनक, 101-200 सामान्य, 201-300 खराब, 301-400 बहुत खराब, 401 से ऊपर-अति गंभीर)


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