वर्षा जल का हो संग्रहण तो बुझे दिल्ली की प्यास
वर्षा जल का हो संग्रहण तो बुझे दिल्ली की प्यास जल बोर्ड ने वर्षा जल संग्रहण पिटो की सफाी के लिए जारी किया दिशा -निर्देश।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : मानसून ने दिल्ली में दस्तक दे दी है। हालांकि यमुना खादर के क्षेत्र में इस बार बाढ़ के पानी के भंडारण की योजना पर कोरोना की मार पड़ सकती है क्योंकि दिल्ली कोरोना के बडे़ संकट से जूझ रही है। ऐसे में सरकारी एजेंसियों का ध्यान इन दिनों कोरोना की रोकथाम में ही लगा हुआ है। फिर भी जल बोर्ड ने वर्षा जल संग्रहण पिटों की सफाई व मरम्मत के लिए संबंधित विभाग को निर्देश दे दिए हैं ताकि बारिश होने पर पानी को सहेज कर भूजल रिचार्ज किया जा सके। यदि वर्षा जल का संग्रहण सुनिश्चित किया गया तो इससे दिल्ली में पेयजल की किल्लत काफी हद तक कम की जा सकती है।
पिछले साल पल्ला इलाके में यमुना के डूब क्षेत्र में छोटे-छोटे तालाब बनाकर बाढ़ के पानी के भंडार व भूजल रिचार्ज की पहल की गई थी। इस योजना के तहत किसानों से किराये पर जमीन लेकर छोटे-छोटे तालाब बनाए गए जिनमे बाढ़ के पानी के भंडारण की व्यवस्था की गई थी। पिछले साल इस योजना पर जुलाई में काम शुरू हुआ था। इस वजह से कुछ ही क्षेत्र में जल भंडारण की योजना पर काम हो पाया था। हालांकि, इस साल बड़े स्तर पर इस योजना पर अमल की तैयारी थी लेकिन अभी तक इसकी तैयारियों को लेकर कोई चर्चा नहीं हैं। इस योजना का मकसद दिल्ली को पानी के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है।
दिल्ली में यमुना करीब 50 किलोमीटर लंबी है। इसके दोनों तरफ पांच किलोमीटर के दायरे में डूब क्षेत्र है। इसका रिवर बेड 40 से 70 मीटर गहरा है, जिसमें रेत भरा है। इसकी जलधारण क्षमता बहुत अधिक है। मानसून के दिनों में हथनी कुंड बैराज से यमुना में कई बार एक लाख से दो लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है। कई बार तो छह लाख क्यूसेक तक पानी छोड़ा जाता है। यदि इस पानी के बड़े हिस्से को भंडारण कर लिया जाए तो उससे भूजल रिचार्ज होगा। बाद में इसका इस्तेमाल पेयजल के लिए किया जा सकता है। इससे दिल्ली में पेयजल किल्लत काफी हद तक दूर हो जाएगी। मौजूदा समय में दिल्ली में प्रतिदिन करीब 1200 एमजीडी पानी की जरूरत होती है जबकि जल बोर्ड 935 एमजीडी पानी की आपूर्ति करता है। इस तरह 265 एमजीडी पानी की कमी है।
जल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोरोना के कारण जल संग्रहण की बड़ी परियोजनाओं पर इस बार काम शुरू करने में दिक्कत हो रही है। यदि अगले कुछ दिनों में कोरोना से राहत मिली तो इस बार भी पिछले साल की परियोजना पर काम शुरू किया जाएगा। वर्षा जल संग्रहण के लिए मौजूद पिटों की सफाई व मरम्मत के आदेश दे दिए गए हैं। दिल्ली में सैकड़ों सरकारी भवनों के अलावा 3496 स्कूल व कॉलेजों में वर्षा जल संग्रहण पिट हैं। इसके अलावा कई फ्लाईओवर के पास भी बारिश के पानी के संग्रहण करने के लिए संयंत्र बनाया गया है लेकिन समस्या यह है कि मानसून से पहले उसकी सफाई नहीं की जाती। ज्यादातर वर्षा जल संग्रहण पिट जाम पडे़ होते हैं। यही वजह है कि जल बोर्ड ने इनकी सफाई कराने का आदेश दिया है।