संवैधानिक संकट की ओर बढ़ रही है दिल्ली, नहीं माने केजरीवाल तो जबरन हटाने पर हो सकता है विचार
अगर बुधवार तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं उनके सहयोगी मंत्री खुद ही राजनिवास से नहीं हटे तो उन्हें जबरन हटाने पर विचार किया जा सकता है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार जिस तरह से अधिकारियों के बाद अब उप राज्यपाल से सीधे टकराव की राह पर चल रही है, उससे उसकी परेशानियां बढ़ना भी तय हैं। इसमें संदेह नहीं कि दिल्ली संवैधानिक संकट की ओर बढ़ रही है। ऐसे में अगर बुधवार तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं उनके सहयोगी मंत्री खुद ही राजनिवास से नहीं हटे तो उन्हें जबरन हटाने पर विचार किया जा सकता है।
राजनिवास पर दबाव की राजनीति
राजनीतिक जानकारों की मानें तो दिल्ली की 'आप' सरकार साढ़े तीन साल में भी अपने वादे पूरे नहीं कर पाई है। इसी वजह से जनता को जवाब देना भारी पड़ रहा है। पहले अधिकारियों पर दबाव बनाना चाहा और कामयाबी न मिलने पर अब राजनिवास पर दबाव की राजनीति की जा रही है।
इस तरह से बदल सकते हैं हालात
दिल्ली सरकार अधिकारियों के साथ-साथ उपराज्यपाल अनिल बैजल पर दबाव बनाकर अपनी योजनाएं मंजूर करा लेना चाह रही है। लेकिन यह संभव नहीं क्योंकि दोनों ही नियम कायदों व संविधान के दायरे में बंधे हुए हैं। जानकारों के मुताबिक मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से सिर्फ खेद प्रकट कर लेने अथवा अधिकारियों को यह आश्वासन दे देने मात्र से स्थिति पलट सकती है कि उनके मान सम्मान का पूरा ख्याल रखा जाएगा। मगर केजरीवाल सरकार ऐसा कर नहीं रही है।
संवैधानिक संकट की चपेट में दिल्ली
दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव राकेश मेहता कहते हैं, कार्यपालिका लोकतंत्र का दूसरा स्तंभ है। अगर विधायिका उसे ही इस तरह दबाना या कुचलना चाहेगी तो लोकतंत्र ही जीवित नहीं रह पाएगा। उपराज्यपाल तो वैसे भी दिल्ली के मुख्य प्रशासक हैं। कोर्ट भी यह आदेश दे चुका है। अधिकारी वर्ग भी किसी सरकार की मशीनरी होता है। अगर सरकार अपनी मशीनरी को ही खराब कर देगी तो वह काम किससे लेगी? निस्संदेह यह सारी स्थिति दिल्ली को संवैधानिक संकट की चपेट में ले रही है। इस घटना में कोई सर्वमान्य हल नहीं निकला तो भविष्य में भी यह स्थिति सामान्य नहीं हो पाएगी।
जबरन हटाने पर हो सकता है विचार
उधर सूत्र बताते हैं कि अंदरखाने यह भी देखा जा रहा है कि केजरीवाल और उनके साथी मंत्री बुधवार तक राजनिवास से चले जाएं। लेकिन, अगर उनकी हठधर्मिता आगे भी जारी रहती है तो उन्हें यहां से जबरन हटाने पर भी विचार किया जा सकता है। वजह, दिल्ली सरकार का कामकाज तो राम भरोसे चल ही रहा है, केजरीवाल के इस घटनाक्रम से राजनिवास भी पंगु सा हो गाय है। यहां के सारे कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। पूर्व निर्धारित बैठकें तक रद करनी पड़ रही हैं।
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