'पत्नी के साथ पति द्वारा जबरन संबंध रेप के दायरे से बाहर'
हाईकोर्ट ने शादीशुदा पत्नी से दुष्कर्म मामले की सुनवाई के दौरान अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि मैरिटल रेप के दायर में पति को नहीं लाया जाना चाहिए।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा कि नाबालिग लड़की अगर शादीशुदा है तो भी उसके साथ जबरन यौन संबंध दुष्कर्म नहीं होगा। अगर महिला बालिग है और वह किसी की पत्नी है तो वह पति के खिलाफ दुष्कर्म का मामाल नहीं दर्ज करा सकती।
हाईकोर्ट ने शादीशुदा पत्नी से दुष्कर्म मामले की सुनवाई के दौरान अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि मैरिटल रेप के दायर में पति को नहीं लाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे कानून का दुरुपयोग हो सकता है। इस अर्जी पर हाई कोर्ट 29 अगस्त को सुनवाई करेगा।
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि आईपीसी के उस प्रावधान को खत्म किया जाए, जिसमें कहा गया है कि 15 साल से ज्यादा उम्र की पत्नी के साथ पति द्वारा जबरन संबंध दुष्कर्म के दायरे में नहीं होगा।
याचिका के जरिये लगाई थी गुहार
शादीशुदा दुष्कर्म के मामले में अगर पत्नी की उम्र 15 साल से ऊपर है, तो कानूनी प्रावधान के मुताबिक दुष्कर्म नहीं माना जाता। हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में इस मामले में उक्त अपवाद को खत्म करने की गुहार लगाई गई है, जिस पर हाई कोर्ट पहले ही केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा हुआ है।
कानून का दुरुपयोग संभव
इसी बीच इस मामले में एक एनजीओ की ओर से एडवोकेट आरके कपूर ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि अगर पति के खिलाफ पत्नी द्वारा रेप का केस किए जाने का प्रावधान हुआ तो इस कानून का दुरुपयोग हो सकता है।
सेक्सुअल एब्यूस दुष्कर्म नहीं
पहले भी दहेज प्रताड़ना के कानून के उल्लंघन के कई मामले सामने आ चुके हैं। कपूर की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि डोमेस्टिक रिलेशनशिप में सेक्सुअल एब्यूस को दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता। अगर पत्नी रिलेशनशिप से इनकार करती है तो यह उसका अधिकार है।
भारत में शादी पवित्र बंधन
वहीं पति को दाम्पत्य अधिकार हैं। ये पति और पत्नी के बीच की सहमति और असहमति के बीच अंडरस्टैंडिंग से चलती है। अगर अंडरस्टैंडिंग में खलल हो तो पति को दुष्कर्मी का दर्जा नहीं दिया जा सकता। भारत में शादी को पवित्र संबंध माना गया है।
पश्चिमी देश जहां पत्नी से जबरन संबंध पर पति खिलाफ केस दर्ज किए जाने का प्रावधान हैं वहां शादी कॉन्ट्रैक्ट है। भारतीय समाज में मैरिटल रेप का कोई कॉन्स्टैप्ट नहीं है। सबसे मुश्किल इस बात का पता लगाना मुश्किल होगा कि संबंध के लिए पत्नी की सहमति थी या नहीं क्योंकि बेडरूम में सीसीटीवी नहीं होता।
याचिकाकर्ता एडवोकेट राघव अवस्थी ने 11 जनवरी को हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि आईपीसी की धारा-375 में रेप को परिभाषित किया गया है। इसके तहत कुछ अपवाद बताए गए हैं।
इसके मुताबिक अगर लड़की की उम्र 15 साल से ज्यादा है और वह किसी की पत्नी है और उसके साथ उसका पति दुष्कर्म करता है तो वह दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह अपवाद न सिर्फ संविधान के अनुच्छेद-14 बल्कि 21 का भी उल्लंघन करता है जो समानता और राइट टु लाइफ की बात करता है।