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पास होने की बाट जोह रहे दिल्ली सरकार के विधेयक

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा से पास हुए विधेयक (बिल) केंद्र सरकार की स्वीकृति मिलन

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 08:21 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 08:21 PM (IST)
पास होने की बाट जोह रहे दिल्ली सरकार के विधेयक
पास होने की बाट जोह रहे दिल्ली सरकार के विधेयक

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा से पास हुए विधेयक (बिल) केंद्र सरकार की स्वीकृति मिलने की बाट जोह रहे हैं। ये विधेयक दो से तीन साल पहले केंद्र के पास भेजे गए थे। कुछ लौट कर आए तो आपत्तियां दूर कर उन्हें फिर से भेजा गया, लेकिन अब तक इन्हें स्वीकृति नहीं मिली है। दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी का मानना है कि ये विधेयक पास हो जाते तो दिल्ली के विकास को और अधिक गति मिल सकती थी। दिल्ली की व्यवस्था में और बदलाव आता।

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दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार आने के बाद विधानसभा से पास कर कई विधेयक केंद्र सरकार के पास भेजे गए। इनमें से स्कूल दाखिला और फीस, सिटिजन चार्टर, निर्धारित समय में काम पूरा न करने पर अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना तथा पहली से आठवीं तक नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म करना व जनलोकपाल विधेयक शामिल हैं। इसमें मंत्रियों से विधायकों के वेतन से संबंधित पांच विधेयक भी शामिल थे। इन्हें मिला लें तो कुल 14 विधेयक आज भी पास नहीं हो सके हैं। इनमें से कुछ वापस आए तो आपत्तियां दूर कर जब इन्हें भेजा गया तो वे फिर से लटक गए। इससे दिल्ली सरकार में इस कदर नाराजगी है कि सरकार ने वर्ष 2018 में जनता से जुड़ा कोई भी विधेयक विधानसभा में पास कर केंद्र के पास नहीं भेजा। सूत्रों का कहना है कि पहले से भेले गए विधेयकों को स्वीकृति नहीं दी जा रही है तो नए विधेयकों को भेजने से क्या फायदा है। विधेयक जान-बूझकर रोके जा रहे हैं। ----------------

केंद्र सरकार जान-बूझकर विधेयकों को रोक रही है। विधानसभा में पास कर भेजे गए विधेयकों में कुछ न कुछ कमी निकाल कर वापस कर दिया गया। आपत्तियां दूर कर इन्हें जब फिर से भेजा तो कोई कार्रवाई नहीं की गई। कुछ ऐसे विधेयक भी हैं जो शुरू से ही ठंडे बस्ते में डाल दिए गए हैं। इससे केंद्र सरकार की मंशा समझ आती है।

रामनिवास गोयल, अध्यक्ष, दिल्ली विधानसभा

---------------- दिल्ली सरकार के ये विधेयक केंद्र सरकार (राष्ट्रपति) के पास हैं लंबित

-दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (संशोधन) विधेयक 2015, 23 जून 2015 से लंबित।

-दिल्ली मेंबर्स ऑफ लेजिसलेटिव असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वालीफिकेशन (संशोधन) विधेयक 2015, 23 जून 2015 से लंबित।

-प्राइवेट स्कूल फीस और दाखिले में पारदर्शिता से जुड़ा विधेयक , 16 दिसंबर 2015 से लंबित।

- नो डिटेंशन पॉलिसी, यानी 1 से लेकर कक्षा 8 तक फेल न करने की नीति खत्म करने से जुड़ा विधेयक, 16 दिसंबर से लंबित।

- सिटिजन चार्टर-नागरिकों का समय पर काम न करने वाले अधिकारियों से सख्ती से जुड़ा बिल। यह विधेयक 17 दिसंबर 2015 को भेजा गया था। वापस आ जाने पर आपत्तियां दूर कर 11 अगस्त 2017 को फिर से इसे पास कर भेजा गया है।

-जनलोकपाल विधेयक 2015, 17 दिसंबर 2015 से लंबित

-अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन का बिल, जिसमें सरकार मजिस्ट्रेट जाच अपनी इच्छानुसार कराने का अधिकार चाहती है, 16 दिसंबर 2015 से लंबित।

-दिल्ली वैल्यू एडेड टैक्स (संशोधन) बिल 2015

- गेस्ट टीचर्स व सर्व शिक्षा अभियान में लगे शिक्षकों को नियमित करने का विधेयक 2017, 4 अक्टूबर 2017 को दिल्ली विधानसभा से पास कर केंद्र के पास भेजा गया था।

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इन्हें फिर से भेजने की तैयारी

विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, मंत्रियों, मुख्य सचेतक और विधायकों के वेतन वृद्धि से संबंधित विधेयक कानून विभाग ने 3 दिसंबर 2015 को विधानसभा में प्रस्तुत किए थे। उसी दिन चर्चा के बाद इन्हें मंजूरी दे दी गई थी। इन्हें उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्र के पास भेज दिया गया था, लेकिन 1 अप्रैल 2016 को आपत्तियां लगाकर इन्हें वापस भेज दिया। इसके बाद विभाग ने आपत्तियां दूर कर इन्हें फिर से उपराज्यपाल के पास वापस भेजा। वहां से बिल फिर वापस आ गए। अब इन्हें फिर से केंद्र के पास भेजने की तैयारी चल रही है।


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