दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण पर बरती लापरवाही तो पड़ेगा भारी
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली इस बार दिल्ली में स्मॉग इमरजेंसी की स्थिति में दिल्ली सरकार की लापरवाही उ
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली
इस बार दिल्ली में स्मॉग इमरजेंसी की स्थिति में दिल्ली सरकार की लापरवाही उसी के लिए महंगी साबित हो सकती है। केंद्र सरकार प्रदूषण नियंत्रण संबंधी दिल्ली सरकार से सभी अधिकार छीनकर किसी और को दे सकती है। इस संबंध में उच्च स्तर पर मंत्रणा का दौर जारी है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण-संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने दिल्ली सरकार से ऑड-इवेन लागू करने का अधिकार छीन लिया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और मौसम विभाग 28 नवंबर से दिल्ली में फिर से कोहरा छाने की आशंका जता रहे हैं। इस दौरान हवा की गति कम हो जाएगी और वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ेगा। यह स्थिति भी कई दिन तक बनी रहेगी। संभव है कि फिर से इमरजेंसी वाले हालात बन जाएं। दिल्ली सरकार भले हाथ पर हाथ धरे बैठी हो, लेकिन केंद्र सरकार, सीपीसीबी और ईपीसीए समय से सक्रिय हो गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक आठ नवंबर को जब दिल्ली में स्मॉग इमरजेंसी लागू हुई और सप्ताह भर तक ऐसी स्थिति बनी रही, तो इससे निपटने में दिल्ली सरकार नाकाम साबित हुई। न तो ऑड-इवेन लागू किया जा सका और न ही सार्वजनिक परिवहन में सुधार हो पाया और न ही ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के दूसरे मानक लागू हो पाए। हर स्तर पर हर मानक का उल्लंघन देखा गया। दिल्ली सरकार बस पराली पर ही अटकी रही।
इस स्थिति पर पीएमओ और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने समीक्षा बैठक की। इस पर मंथन किया कि अगर दिल्ली सरकार लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल नहीं रख पाती है और अपने कर्तव्यों का निवर्हन करने में नाकाम रहती है तो क्या किया जाए? हालांकि उस वक्त इस चर्चा पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी, लेकिन अब फिर से ऐसे हालात बनते हैं तो कोई बड़ा निर्णय लिया जा सकता है। ईपीसीए भी इस बार ग्रेप के उल्लंघन पर दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट में घसीटने का मन बना चुका है।
-------------------
जनता की जान-माल की रक्षा करना राज्य सरकार का कर्तव्य है। यदि वह ऐसा करने में नाकाम रहती है तो केंद्र सरकार इसकी जिम्मेदारी किसी अन्य एजेंसी को हस्तांतरित कर सकती है। दिल्ली का वायु प्रदूषण जानलेवा हो चुका है। ऐसे में भविष्य में दिल्ली वासियों के हित में कोई भी बड़ा कदम उठाया जा सकता है।
-ए. सुधाकर, सदस्य सचिव, सीपीसीबी